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ग्रहों की भी गति का शिकार हो सकते हैं स्वामी रामदेव !

ग्रहों की भी गति का शिकार हो सकते हैं स्वामी रामदेव !


जब ग्रह विपरीत हो तो अच्छी खासी चल रही गाड़ी भी रुक जाती है या फिर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाती है।इन दिनों रामदेव भी उन्ही ग्रह नक्षत्रों के शिकार हैं,जो उनकी जन्म कुंडली मे कुंडली मारकर बैठे है।राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर शास्त्री के शब्दों में,"रामदेव कर्क लग्न के हैं। यह लग्न या तो सम्राटों का होता है या परिव्राटों का...इस लग्न में भगवान राम भी हुए और सद्दाम हुसैन भी...जार्ज बुश भी हुए और सोनिया गांधी भी...यह लग्न संघर्षों की परिणति है। रामदेव सहित सभी जातक जो इस लग्न से जुड़े होते हैं, उनका जीवन संघर्षों में ऊंचाई चढ़ता है। विवादों से इनका निरन्तर सम्बन्ध होता है। इसी कारण विरोध बढ़ता है और विरोध इनको आगे बढाने के लिए जूझने की क्षमता देता है। लेकिन सदा ऐसा नहीं होता।" इस बार की लड़ाई रामदेव ने स्वयं एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर हमला करके छेड़ी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के दबाव में माफी मांग लेने के बावजूद विवाद उनका पीछा नही छोड़ रहा है। यह निश्चय ही एक बड़ी विपरीत स्थिति है, जो बड़े व्यापक पैमाने पर संगठित विरोध की अवस्था पैदा करती है। इससे रामदेव को  काफी कुछ खोना पड़ सकता है।
डॉ चंद्रशेखर शास्त्री के मुताबिक स्वामी रामदेव का जन्म 25 दिसंबर सन 1965 को तद्नुसार विक्रम सम्वंत् 2022 शक सम्वंत् 1887 पौष 10 गते शनिवार (समय 20 बजकर 24 मिनट) श्रवण नक्षत्र में धनु नवमांश, कर्क लग्न, मकर राशि में हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के अलीपुर गांव में हुआ था।
लग्नेश चंद्रमा सप्तम में, दशमेश व पंचमेश मंगल तथा चतुर्थेश व लाभेश शुक्र के साथ मकर राशि में स्थित है, जो सप्तम में शुक्र-चंद्रमा-मंगल की युति के कारण रुचक नामक पंच महापुरुष योग व महालक्ष्मी योग का निर्माण कर रहा है।
स्वामी रामदेव के लग्न पर मंगल, केतु की दृष्टि एवं चतुर्थेश व लाभेश शुक्र और उस पर भाग्येश, बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि है, जो बहुत घातक है, जब जब इन ग्रहों का सम्बन्ध गोचर से बनेगा, वे स्वस्थ नहीं रह पाएंगे।
धनेश एवं कुटुंबेश सूर्य छठे स्थान पर होने के कारण घर कुटुंब से अलग करता है। बचपन से ही स्वामी रामदेव घर से बाहर हैं।  
पराक्रमेश व व्ययेश बुध, पंचम में केतुकी युति उन्हें संसार में दूसरों से भिन्न करती है और अतिन्द्रीयता के साथ कुशल प्रशासक बनाती है। बुध केतु जिस भाव में भी युतिमय होते हैं, उस भाव की अवस्था विरल कर देते हैं। यहां पंचम भाव बुद्धि का है, रामदेव अद्भुत बौद्धिक कौशल से युक्त हैं। राजनीति, कूटनीति, अर्थनीति जहां जिसकी जब जरूरत हो, वे निर्धारण करने में समर्थ हैं। बुध वाणी का कारक है, केतु वाणी को विवाद में उलझाने का काम करता है। इसलिए वे अक्सर विवादित बयान दे सकते हैं।छठे घर में एवं भाग्येश मित्र बृहस्पति की राशि धनु में स्थित सूर्य,  घोरशत्रुनाशक योग का निर्माण करते हैं। इसी कारण वे राजनीति से अध्यात्म तक छा पाए। उनका शत्रुहंता योग युनके शत्रु को आसानी से निपटा देता है।सप्तम में चंद्रमा, शुक्र और मंगल उन्हें  आयुर्वेद में खींचकर लाए। जिन्होंने स्वामी रामदेव को आयुर्वेद और योग में विश्वव्यापी परिव्राट बनाया।शनि, अष्टम भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि में होने के कारण वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुए हैं। लेकिन कर्क लग्न के लिए बुध, शुक्र और शनि अपने दुष्प्रभाव देते रहते हैं। यही कारण है कि रामदेव को बाल्यकाल में ही भयंकर पैरालाइसिस से दो चार होना पड़ा। घर छोड़कर कठोर, निर्दयी अवस्थाओं से गुजरना पड़ा। ये ही ग्रह उन्हें विश्व स्तर पर लड़ने के लिए बाध्य भी कर सकते हैं। उन पर अंतरराष्ट्रीय मुकदमे भी चलाये जा सकते हैं। भाग्येश बृहस्पति व्यय भाव में होने के कारण उन्हें दुनिया भर में घुमाएंगे और अदालतों के चक्कर भी कटवाएंगे।  वैश्विक शासनों और असाधारण धन क्षमता वाले मानव समूह से जोड़ेगा। लेकिन असावधानीवश इससे उन्हें हानि भी हो सकती है। 
वर्तमान में उनकी शनि की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है। सितंबर सन 2021 तक उन्हें अति सावधानी की आवश्यकता है। वस्तुतः शनि की महादशा उनके लिए एक बुरी महादशा सिद्ध हो सकती है। जिससे रामदेव साम्राज्य में उतार चढ़ाव आ रहा है।
तभी तो पहले कोरोना की कथित दवाई कैरोलीन को लेकर बाबा रामदेव व उनके सहयोगी आचार्य बाल कृष्ण चर्चाओं में रहे।गत वर्ष कोरोना के पहले उफान के बीच बाबा रामदेव ने उक्त कथित दवाई पत्रकारों के सामने लॉन्च की थी।लेकिन उनकी इस उद्घोषित दवाई के प्रचार प्रसार पर सरकार ने उसी दिन यह कहकर रोक लगा दी थी कि सम्बंधित आयुष विभाग से उक्त दवाई की बाबत अनुमति नही ली गई।इस बाबत आयुष मंत्रालय ने बाबा की दवा कम्पनी को नोटिस भी जारी किया था। सरकार के द्वारा पतंजलि को इम्युनिटी बूस्टर बनाने का लाइसेंस दिया गया था। लेकिन बाबा रामदेव व आचार्य बाल कृष्ण ने कोरोना की  दवा बनाने का दावा कर सरकार को भी सकते में ला दिया था। पतंजलि ने तुलसी, अश्वगंधा, गिलॉय इत्यादि को  लेकर जो दवा तैयार की ।उसे कोरोना की दवा बताया गया। बाद में उन्होंने सरकार से अपनी दवा पर स्वीकृति की मोहर भी लगवा ली।लेकिन बाबा रामदेव ने एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर सवाल उठाकर स्वयं ही आफत मौल ले ली है।जिससे देशभर के एलोपैथी चिकित्सक उनसे नाराज़ है और सरकार भी उनसे इस समय खुश नही है।पहले जब कांग्रेस की उत्तराखंड सरकार द्वारा उनके दिव्य योग टृस्ट,पतजंलि योग पीठ टृस्ट,पजंजलि आयुर्वेदिक लिमिटेड और पतंजलि विष्वविधालय एवं टृस्ट पर  छापेमारी की गई थी और उनपर कतिथ टैक्स ,स्टाम्प चोरी और अवैधानिक तरीके से सरकारी व गैर सरकारी जमीने कथित रूप से कब्जाने के आरोप को लेकर शिकायते दर्ज हुई थी । इन मामलों में राज्य सरकार ने बाबा रामदेव व उनके संस्थानों पर एक के बाद एक कुल 83 मुकदमें दर्ज किये थे। जिनमें जमीनी खरीद फरोक्त व शासन के नियमो व शर्तो का उलंधन करने के 22 मुकदमें दर्ज किये गए थे। वही 
औधोगिक क्षेत्र के लिए खेती की दर से खरीदी गई जमीन के मामले में भी भारतीय स्टाम्प अधिनियम 
के तहत  53 मुकदमें दर्ज किये गए थे।उक्त मुकदमो से स्पष्ट है कि बाबा का विवादों से पुराना नाता रहा है। वही एक विश्वविद्यालय को अधिकतम 
दस एकड भूमि खरीदने का अधिकार है परन्तु  पतंजलि विष्वविधालय ने कथित रूप से 387 एकड जमीन खरीद ली, जिसका उपयोग विश्वविद्यालय में शिक्षा के बजाए खेती के लिए किया जा रहा है। साथ बाबा  पर ग्राम समाज की 7766 एकड भूमि भी नियम विरुद्ध लेने का आरोप लगा था। उनपर योग को व्यापार बनाने से लेकर बहुत कम समय में अरबो की 
सम्पत्ति  एकत्र करने का भी आरोप लगता रहा है। 
बाबा रामदेव पहले  साईकिल पर चलकर योग का प्रचार करते थे । हरिद्वार के कनखल में बाबा रामदेव, उनके साथी आचार्य बाल कृष्ण व आचार्य कर्मवीर ने अपने गुरू दिव्य योग मन्दिर के महन्त शंकर देव के नेतृत्व में योग का प्रचार प्रसार शुरू किया था। उस समय हरिद्वार जिले में भी बहुत कम लोग बाबा रामदेव व उनके साथियों को जानते थे। उस समय बाबा का काम साईकिल पर जगह जगह जाकर योग प्रदर्षन करना व मन्दिर का खर्च जुटाना हुआ करता था। इसके लिए बाबा और आचार्य बाल कृश्ण आयुर्वेद पद्वति से रोगियो का उपचार भी किया करते थे। इसी बीच बाबा रामदेव आस्था चैनल के संचालको के सम्पर्क में आ गए। उन्होने बाबा रामदेव को 
अपने चैनल के माध्यम से प्रमोट करना शुरू कर दिया। जिससे बाबा की किस्मत ही पलट गई। बाबा ने चैनल के माध्यम योग को घर घर तक पंहुचाया, जिससे लोग बाबा के मुरीद होते चले गए। बाबा ने लोगो की जनभावना का जमकर कर फायदा उठाया। तभी तो बाबा मात्र दो दशक  में हजारो करोड रूपये के कारोबारी हो गए। बाबा रामदेव ने 
अपनी योग क्लास में जंहा पैसे वालों को तरजीह दी वही उन्होने एलोपैथिक डाक्टरो पर निशाना साधकर 
उन्हे कटधरे में भी खडा करने की कौशिश की, साथ ही आयुर्वेद का प्रचार कर उसके बाजार में उतर गए। 
 जो बाबा सन 2003 तक हरिद्वार के कनखल में स्थित दिव्य योग मन्दिर के मात्र 3 कमरो में बैठकर लोगो को योग सीखाते थे और आयुर्वेद की दवाईया देकर लोगो का इलाज करते थे। उनके पास इन बीस तीस सालो में कई सौ करोड की सम्पत्ति कहा से आ गई है। दिव्य योग टृस्ट के नाम पर हरिद्वार 
के कनखल में उनके पास 10 बीधा भूमि में गोदाम और उनके प्रशासनिक कार्यालय खुले है तो हरिद्वार के ही औधोगिक क्षेत्र में पतंजलि आयुर्वेद के नाम से उनकी दो फैक्टृी ढाई सौ से ज्यादा आयुर्वेद उत्पाद 
बना रही है। जिसका कारोबार कई सौ करोड रूपये का है। इतना ही नही पतंजलि योगपीठ का मुख्यालय हरिद्वार से दिल्ली रोड पर डेढ सौ बीधा भूमि पर आलीशान भवन के रूप में फैला हुआ है। वही पतंजलि योगपीठ फेज 2 के नाम से बनी साढे चार सौ बीधा भूमि में फैली आलीशान इमारतो को देखकर कोई भी बाबा रामदेव की रईसी का अन्दाजा सहज ही लगा सकता है। इतना ही नही बाबा रामदेव के अन्य प्रतिष्ठानों में पचास एकड भूमि में 
बना पतंजलि फूड व हर्बल पार्क , दो सौ बीधा भूमि में बनी पतंजलि नर्सरी और आधौगिक इकाई ,आठ सौ 
बीधा भूमि में बना पतंजलि योग ग्राम,
ग्राम तेलीवाला के सैकड़ों बीघा में खोली गई 500 से अधिक गायों की गौशाला बाबा रामदेव द्वारा 
हासिल की गई अकूत सम्पत्ति का एहसास कराते है।  बाबा रामदेव अपनी तरफ भी झांके और मात्र पिछले बीस तीस वर्षों में हरिद्वार जिले के हरे-भरे खेतों को समाप्त कर बाबा रामदेव द्वारा खड़े किये गयें कंकरीट के जंगलों की भी समीक्षा हो। 
कौन नही जानता बाबा रामदेव ने हरिद्वारों की किसानों की जमीन किस तरह से हासिल की साथ ही यह भी सभी को मालूम है कि बाबा रामदेव योग कैम्प से लेकर दवाईयों तक सभी का दाम वसूलते है फिर उन्हे आयकर विभाग द्वारा 80 जी धारा का लाभ आखिर क्यों और किस आधार पर दिया गया। क्योंकि उनके द्वारा किसी भी गरीब को निशुल्क दवाई वितरण का कोई लाभ आज तक नहीं दिया गया। मीड़िया की बदौलत योग ओर आयुर्वेद के माध्यम से पहुंचे घर-घर पहुंचे बाबा रामदेव को यह भी समझना चाहिए कि भारत के जिन ऋषिमुनियों का व योग ध्यान व आयुर्वेद के लिए हवाला देते है उन्होेने कभी योग,ध्यान व आयुर्वेद को व्यापार नहीं बनाया था। 
  अच्छा होता रामदेव राजनीति का मोह छोड़कर केवल योग और आयुर्वेद पर केद्रींत रहते तो देश की जनता का  भला कर सकते थे लेकिन उनका राजनीतिक मोह उन्हे बार-बार परेशान कर रहा है तभी तो बाबा रामेदव सत्ता की नाव पर बैठने का दिवा स्वपन बार बार देखने लगते है।  सवाल यह भी उठता है कि बाबा रामदेव या उनकी संस्था ने अरबों की सम्पत्ति एकत्र करने के 
बावजूद आयकर के रूप में देश को क्या दिया और योग व आयुर्वेद के माध्यम से कितने गरीबों का निशुल्क इलाज किया।  बाबा रामदेव
को अपनी पंतजली योग पीठ और उससे जुडी सारी सलतनत राष्ट्र को समर्पित करनी चाहिए। ताकि बाबा को एक संत के रूप में परिभाषित किया जा सके और देश के गरीब और असहाय को भी पतंजली योग पीठ जैसी संस्थाओं का लाभ मिल सके। साथ ही उन्हें एलोपैथी समेत अन्य सभी चिकित्सा पद्धतियो का सम्मान करना चाहिए, विशेष कर इस कोरोना संकट के समय जो चिकित्सक व नर्स आदि अपनी जश्न जोखिम में डालकर रोगियों की जश्न बचाने का पुनीत कार्य कर रहे है।ऐसे जनसेवक चिकित्सको पर उंगली उठाने से ही रामदेव के प्रति देश मे गुस्से के वातावरण बन गया है।
(लेखक -डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)

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