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अब रामलीला मैदान में नहीं उड़ेगी धूल

अब रामलीला मैदान में नहीं उड़ेगी धूल

ऐतिहासिक रामलीला मैदान की सूरत बदलने जा रही है। उत्तरी निगम ने यहां पेड़-पौधे और टाइल्स लगाने की योजना बनाई है। इससे चांदनी चौक, कनॉट प्लेस, अजमेरी गेट समेत आस-पास के इलाकों में होने वाले प्रदूषण को कम करने में काफी हद तक मदद मिलेगी। निगम की ओर से इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार के शहरी एवं विकास मंत्रालय की सहायता ली जाएगी। निगम जल्द ही इस योजना के लिए फंड की सहायता के लिए शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखेगा। 
निगम की योजना के अनुसार, रामलीला मैदान में इंटरलॉकिंग टाइल्स बिछाई जाएंगी। इस दौरान इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि यहां होने वाले विभिन्न आयोजनों के आयोजनकर्ताओं को किसी प्रकार की समस्या न हो। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम यहां मलबे से बनी टाइलों का उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि टेंट वाले हर 15 फीट की दूरी पर अपना पोल लगाते हैं। इसलिए टाइल्स लगाने की व्यवस्था इस प्रकार की जाएगी कि टेंट या हैंगर लगाते समय टाइल्स न छेड़ना पड़े। निगम अधिकारी के मुताबिक, रामलीला मैदान के बाहरी हिस्से में बड़े छायादार पेड़ लगाने की योजना है। साथ ही, इसकी बाहरी दीवार के साथ छोटे फूल वाले पौधे भी लगाए जाएंगे। एक बार केंद्रीय मंत्रालय से बजट पास हो जाए, तो आने वाली सर्दियों से पहले इस मैदान से होने वाले प्रदूषण से दिल्ली के लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। 
निगम अधिकारी का कहना है कि रामलीला मैदान में पार्किंग भी चल रही है। यहां वाहनों का आवागमन लगातार होता है जोकि धूल उड़ने का एक मुख्य कारण है। उन्होंने बताया कि हम पार्किंग स्थल पर भी टाइल्स लगाकर धूल को उड़ने से रोकेंगे। आबादी का अधिक घनत्व होने के कारण इस इलाके में प्रदूषित हवा बाहर नहीं निकल पाती है। चांदनी चौक निगरानी केंद्र के मुताबिक, मई के बीते एक सप्ताह के दौरान तेज हवाएं चलने के बाद से चांदनी चौक में हवा में प्रदूषण का स्तर 130 से 150 के बीच है, जो कि सामान्य है। हालांकि, अक्तूबर से मार्च के बीच इस इलाके में प्रदूषण का स्तर खराब और बेहद खराब के स्तर तक पहुंच जाता है। 

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