YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

नेशन

वनविहार सुरक्षित नहीं, फिर भी छोड दिए घडियाल पकडे गए घडियालों को छोड़ना था सोन व चंबल नदी में

वनविहार सुरक्षित नहीं, फिर भी छोड दिए घडियाल    पकडे गए घडियालों को छोड़ना था सोन व चंबल नदी में

साल 2014 में मप्र वन्यप्राणी विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में घड़ियालों को सोन व चंबल नदी में छोड़ने की सिफारिश की थी। रिपोर्ट में बताया था कि कलियासोत और वन विहार नेशनल पार्क उनके लिए सुरक्षित और प्राकृतिक रहवास स्थल नहीं है। विभाग के पास पूर्व से रिपोर्ट मौजूद होने के बावजूद घड़ियालों की शिफ्टिंग मनमर्जी से वन विहार नेशनल पार्क में कर दी है। मालूम हो कि राजधानी के कलियासोत डैम से दो घड़ियालों को पकडा गया था। इन घडियालों को सोन व चंबल नदी में छोड़ना था, लेकिन, अफसरों ने उन्हें वन विहार नेशनल पार्क पहुंचा दिया है।  एक तरह से मौजूदा अफसरों ने पूर्व में रिपोर्ट तैयार करने वाले अनुभवी अफसरों की रिपोर्ट को ही अनसुना कर दिया, जो पकड़े गए दोनों घड़ियालों के जीवन के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ है। बीते सप्ताह ही डैम से दो घड़ियाल पकड़कर वन विहार शिफ्ट किए हैं। साल 2014 में कलियासोत डैम में घड़ियालों की मौजूदगी की बात सामने आई थी। तब अधिकारियों को भरोसा नहीं हुआ था। क्योंकि, डैम इनका प्राकृतिक रहवास स्थल नहीं है। इसकी पुष्टि करने के लिए वन्यप्राणी विभाग ने सर्वे कराया और रिपोर्ट तैयार कराई। 
    यह रिपोर्ट वन्यप्राणी विभाग के एपीसीसीएफ सुहास कुमार (अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं) के निर्देशन में तैयार की थी। उन्होंने खुद टीम के साथ सर्वे किया था। तब डैम में तीन घड़ियाल की मौजूदगी मिली थी। यह भी पाया था कि डैम घड़ियालों का रहवास स्थल नहीं है। इसके आधार पर रिपोर्ट में तीनों का रेस्क्यू कर उन्हें सोन व चंबल नदी में छोड़ने की सिफारिश की थी। रिपोर्ट में यह भी कहा था कि डैम में घड़ियालों को खतरा हो सकता है। तब से रिपोर्ट पड़ी रही और बाद के अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। जब बीते सप्ताह दो घड़ियालों को पकड़ा गया, तब भी लापरवाह अफसरों को विभाग की ही रिपोर्ट याद नहीं आई और दोनों घड़ियालों को सोन व चंबल नदी में शिफ्ट करने की बजाए वन विहार भेज दिया। इस बारे में मप्र के पूर्व पीसीसीएफ सुहास कुमार का कहना है कि उस समय मैंने रिपोर्ट तैयार कर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को सौंप दी थी। कुछ ही समय बाद मैं नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण चला गया और सेवानिवृत्त हो गया। रिपोर्ट पर अमल करना था, लेकिन नहीं हुआ। घड़ियालों के लिए यह ठीक नहीं है। वहीं मप्र वन्यप्राणी पीसीसीएफ यू प्रकाशम का कहना है कि मेरे संज्ञान में रिपोर्ट नहीं थी। अब रिपोर्ट मंगाकर देखूंगा कि घड़ियालों को लेकर उसमें क्या सिफारिशें की थी। इसके बाद निर्णय लेंगे।

Related Posts