नई दिल्ली। कांग्रेस की पंजाब और राजस्थान इकाइयों में कलह के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का भाजपा में जाना मुख्य विपक्षी पार्टी के लिए उप्र में बड़ा झटका है क्योंकि कुछ महीने बाद ही वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हालांकि, कांग्रेस का सूत्रों का कहना है कि प्रसाद का जाना अवसरवादी राजनीति है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रहे प्रसाद को उप्र में कांग्रेस के एक युवा ब्राह्मण नेता के तौर पर देखा जाता था। इस घटनाक्रम से फिर से कांग्रेस में कई युवा नेताओं की नाराजगी और पाला बदलने की अटकलों को हवा मिल गई है। सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा ऐसे नेताओं में शामिल हैं जिनकी नाराजगी की चर्चा इन दिनों हो रही है। यही नहीं, प्रसाद ने ऐसे समय कांग्रेस छोड़ी है जब पंजाब एवं राजस्थान इकाइयों के अलावा छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों की इकाइयों में गुटबाजी है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी वाद्रा के चेहरे के साथ अपने पुराने वोटबैंक- ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित वर्ग में फिर से पैठ बनाने की कोशिश में है।
जितिन प्रसाद के पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा में जाने की अटकलें थीं। कहा जाता है कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मनाने पर प्रसाद ने उस वक्त भाजपा में जाने का फैसला त्याग दिया था। ज्ञात हो कि जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और संगठनात्मक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। पत्र से जुड़े विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पारित कर जितिन प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जिस पर विवाद भी हुआ था। हालांकि बाद में प्रसाद ने कहा था कि उन्हें कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व में पूरा विश्वास है। जितिन प्रसाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के पुत्र हैं। उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा था। प्रसाद ने 2004 में शाहजहांपुर से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता था और उन्हें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में इस्पात राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने 2009 में धौरहरा सीट से जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने संप्रग सरकार में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने वाले जितिन प्रसाद को 2014 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में तिलहर सीट से हाथ आजमाया लेकिन इसमें भी उन्हें निराशा ही मिली। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी धौरहरा सीट से वह हार गये थे। उन्हें कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल के लिए कांग्रेस प्रभारी बनाया गया था। वहां राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम दलों के गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई।
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उप्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रसाद का भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका -प्रियंका गांधी के चेहरे के साथ पुराने वोटबैंक- ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित में फिर पैठ की कोशिश कर ही है कांग्रेस