शिमला । हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के टूरिस्ट स्पॉट डलहौजी के नाम बदलने को लेकर भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर पर तंज कसा है। स्वामी ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए लिखा कि हिमाचल के सीएम जयराम कांग्रेस के साथ चिपके रहने वाले हो, दरअसल, सीएम ठाकुर दिल्ली से लौटे थे। इस दौरान जब मुख्यमंत्री से डलहौजी का नाम बदलने के बारे में सवाल हुआ तब उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं है और ना ही सरकार की ऐसी मंशा है। इस पर ब्यान पर स्वामी ने तंज कसा है। क्योंकि कांग्रेस ने भी शांता सरकार के डलहौजी का नाम बदलने के अध्यादेश को बाद में रद्द कर दिया था।
स्वामी ने ट्वीट में लिखा कि हैरानी वाली बात है, कि सभी भाजपा कार्यकर्ता, वीएचपी और आरएएस ने सीएम जयराम ठाकुर का डलहौजी को लेकर बयान सुना होगा। उन्होंने कहा कि शांता कुमार की मांग को तवज्जों नहीं दी जाएगी और वह कांग्रेस के साथ चिपके रहने वाले हैं। भाजपा सांसद स्वामी ने इसबारे में हिमाचल के राज्यपाल को खत लिखा था।चार जून को लिखे खत में स्वामी ने मांग की हैं कि डलहौजी का नाम बदला जाए।स्वामी द्वारा सूबे के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को लिखे पत्र में कहा है कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट अजय जग्गा की पुरानी मांग पर विचार करते हुए इस शहर का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर कर दिया जाए। स्वामी ने लिखा है कि वर्ष 1992 में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने इस लेकर एक अधिसूचना जारी की थी, लेकिन बाद में कांग्रेस सरकार ने उस रद्द कर आदेश पलट दिया था। स्वामी ने चिट्ठी के द्वारा राज्यपाल से आग्रह किया है, कि डलहौजी का नाम बदलने के लिए वह मुख्यमंत्री को आदेश जारी करें और साल 1992 की अधिसूचना को लागू करवाएं। स्वामी के हिमाचल के पूर्व सीएम शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखा है, कि 1992 में भाजपा सरकार की घोषणा को अब पूरा करें। उन्होंने कहा कि वे जब मुख्यमंत्री थे,तब डलहौजी का नाम बदलने का अध्यादेश जारी किया था, लेकिन उसके बाद कांग्रेस ने उसे रद्द कर दिया था।
डलहौजी की विधायक और कांग्रेस नेता आशा कुमारी ने मुख्यमंत्री ठाकुर को पत्र लिखकर बताया है कि स्थानीय लोग प्रस्ताव के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, "इस तरह के किसी भी सुझाव पर विचार करते समय डलहौजी के निवासियों की भावनाओं को प्राथमिकता दी जाए। डलहोजीवासियों का कहना है की डलहौजी एक मशहूर पर्यटक स्थल है और आज इसका नाम देश विदेश में मशहूर हो चुका है। नाम बदलने से पर्यटन व्यवसाय पर फर्क पड़ सकता है। गौरतलब है कि डलहौजी को अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान साल 1854 में कर्नल नेपियर ने पांच पहाड़ियों पर बसाया था। उन्होंने लार्ड डलहौजी के नाम पर इस शहर का नाम रखा था।1873 में रवींद्रनाथ टैगोर डलहौजी आए थे। साल 1937 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी डलहौजी पहुंचे थे। हालांकि, डलहौजी के निवासी और पर्यटन व्यवसायी डलहौजी का नाम बदले जाने के पक्ष में नहीं हैं, वे इसका विरोध कर चुके हैं।
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हिमाचल के सीएम ठाकुर पर भाजपा नेता स्वामी का तंज, कांग्रेस के साथ चिपके रहोंगे