चंबा । हिमाचल प्रदेश में कोरोना संकट के बीच सिरमौर जिले में लहसुन की फसल के अच्छे दाम मिलने से किसानों के चेहरे खिले उठे हैं। सिरमौर जिले का लहसुन बाहरी राज्यों की मंडियों में पहुंच रहा है। पिछले कई साल के मुकाबले ऐसा पहली बार हुआ है, जब लहसुन के दामों में इतनी बढ़ोतरी हुई है।
दरअसल,सिरमौर जिला लहसुन के उत्पादन के लिए विशेष रुप से जाना जाता है। खासकर जिले के गिरीपार इलाके में भारी मात्रा में लहसुन का उत्पादन होता है। इस बार क्षेत्र में पिछले कई सालों के मुकाबले लहसुन जहां अच्छी पैदावार हुई है। वहीं, दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। इस बार किसानों को 100 से 150 रुपए प्रति किलो और लहसुन के दाम मिल रहे है, जिसके बाद लहसुन उत्पादक खुश नजर आ रहा है। कोरोना संकट के बीच यह बहुत ही राहत भरी खबर है।
किसानों का कहना है, कि स्थानीय मंडियों में लहसुन 90 से 100 रुपए प्रति किलो, जबकि दिल्ली,कलकत्ता सहित अन्य राज्यों की मंडियों में लहसुन 150 से 160 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। सिरमौर जिला का हरिपुरधार, शिलाई, डलयानु, टिम्बी आदि ऐसी क्षेत्र हैं, जहां बहुत अधिक मात्रा में लहसुन का उत्पादन होता है। चम्बा जिले में मौसम की वजह से मक्की और गेहूं की फसल प्रभावित हुई है। लेकिन जिले में इसबार आलू की बंपर पैदावार हुई है। जो पिछले से लगभग 3 गुना ज्यादा मानी जा रही है। बाजार में भी किसानों को उनकी मेहनत का अच्छा दाम नहीं मिल रहा है। किसानों ने बताया कि इस बार मौसम की वजह से मक्की व गेहूं की फसल काफी बर्बाद हुई है, लेकिन उनकी आलू की फसल इस बार बंपर फसल मानी जा रही है। जो बीज कृषि विभाग ने मुहैया करवाया था, वह काफी महंगा भी है, इसकारण सरकार को चाहिए कि थोड़ी रियायत दी जाए।
आशीष दुबे / 10 जून 2021
दिवंगत पत्रकार के पुत्र अंशुल ने राम रहीम सिंह की पैरोल पर उठाएं सवाल
सिरसा (ईएमएस)। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को मेडिकल पैरोल पर दिवंगत पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति लगातार सवाल उठाते रहे हैं। अब उन्होंने मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर मामले में दखल देने और इसकी मॉनिटरिंग करने की मांग की है। इसके साथ ही अंशुल छत्रपति ने डेरा प्रमुख को मिली पैरोल में नियमों का उल्लंघन होने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं अंशुल ने हॉस्पिटल द्वारा डेरा प्रमुख की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत का अटेंडेंट कार्ड बनाकर उस गुरमीत राम रहीम से मिलने देने पर भी सवाल खड़े किए। अंशुल छत्रपति ने कहा कि जिस तरह से बार-बार डेरा प्रमुख को कभी उनकी माता के बीमारी के बहाने एक दिन की कस्टोडियस पैरोल देकर फार्म हाउस में मिलाया गया। उसके बाद बाबा की बीमारी को लेकर पहले पीजीआई रोहतक और उसके बाद गुरुग्राम के हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया। ये सरकार और जेल प्रशासन की तरफ से डेरा प्रमुख को लंबी छुट्टी देने का एक ग्राऊंड तैयार किया जा रहा है।
अंशुल ने कहा कि जिस तरह 25 अगस्त 2017 को गुरमीत राम रहीम के खिलाफ फैसला आया और प्रदेश में जिस तरह से दंगा हुआ, उससे सरकार और प्रशासन को सबक लेना चाहिए। अंशुल ने कहा कि जो पुलिस प्रशासन 25 अगस्त 2017 के बाद से लगातार जांच में हनीप्रीत को मुख्य साजिशकर्ता बता रहा था, उसके बाद पुलिस का केस इतना कमजोर क्यों हुआ?