नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली का पहला स्मॉग टॉवर 15 अगस्त तक तैयार हो जाएगा। बीस करोड़ की लागत से कनॉट प्लेस में बनाए जा रहे स्मॉग टॉवर से एक किलोमीटर के दायरे में हवा साफ होगी। गुरुवार दिन में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने टॉवर के निर्माण कार्य का जायजा लिया। दिल्ली में खासतौर पर जाड़े के मौसम में प्रदूषण की वजह से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। कुछ खास दिन तो ऐसे भी आते रहे हैं जब प्रदूषण की वजह से स्कूलों में छुट्टी और निर्माण व फैक्टरियों आदि में काम बंद करना पड़ता रहा है। दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम के लिए पहला स्मॉग टॉवर कनॉट प्लेस के बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर तैयार किया जा रहा है। हालांकि, कोविड काल के चलते इसकी स्थापना में थोड़ा विलंब हुआ है। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि दिल्ली देश का पहला राज्य है जो प्रदूषण कम करने के लिए इस तरह का स्मॉग टॉवर लगा रहा है। पंद्रह अगस्त तक स्मॉग टॉवर का काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद विशेषज्ञ इसका अध्ययन करेंगे और उपयुक्त परिणाम आने पर दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर इस प्रकार के और स्मॉग टॉवर लगाए जाएंगे। यह स्मॉग टॉवर ऊपर से प्रदूषित हवा को खींचेगा और हवा को शुद्ध करके दस मीटर की ऊंचाई पर छोड़ेगा। इसको बनाने में डीपीसीसी के साथ आईआईटी मुंबई, एनबीसीसी और टाटा प्रोजेक्ट संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। पर्यावरण मंत्री ने कहा प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली में दस सूत्रीय एक्शन प्लान पर काम हो रहा है। इसमें एंटी डस्ट कैंपेन, वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हेकल पॉलिसी, दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों को लाने का अभियान, बायो डी-कंपोजर, वृक्षारोपण आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि स्मॉग टॉवर की ऊंचाई लगभग 25 मीटर है। इस तरह का स्मॉग टॉवर चीन में भी लगाया गया है। लेकिन, दिल्ली में लगाए जा रहे टॉवर की तकनीक में अंतर है। चीन के टॉवर में नीचे से हवा खींचकर ऊपर छोड़ा जाता है। जबकि, यहां पर लगाए जा रहे स्मॉग टॉवर ऊपर से प्रदूषित हवा को खींचकर नीचे छोड़ा जाएगा। इसमें चारों तरफ 40 पंखे लगे हैं जो वायु को शुद्ध कर दस मीटर की ऊंचाई पर छोड़ेंगे। अनुमान है कि एक वर्ग किलोमीटर तक इसका प्रभाव रहेगा।
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दिल्ली का पहला स्मॉग टावर 15 अगस्त तक बनकर होगा तैयार