नई दिल्ली । दिल्ली में गर्भवती-कामकाजी महिलाओं को काम का बेहतर माहौल उपलब्ध करवाने के लिए दिल्ली के सभी बड़े प्रमुख निजी और सरकारी संस्थानों के लिए अलग से प्रावधान किए हैं। इन प्रावधानों के अनुसार दिल्ली के ऐसे संस्थानों में जहां 50 से अधिक महिला कर्मचारी काम कर रही हैं या तीन मंजिल से अधिक बड़ी इमारत है वहां क्रेच और गर्भवती महिलाओं के लिए फीडिंग रूम (छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाने का कमरा) की व्यवस्था करनी होगी। मौजूदा समय में दिल्ली में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक जोनल कार्यालय और दिल्ली के प्रमुख न्यायालयों में क्रेच की व्यवस्था की गई है। दिल्ली मास्टर प्लान-41 के तहत दिल्ली के सभी सरकारी और निजी कार्यालयों में छोटे बच्चों को संभालने के लिए क्रेच बनाने का प्रावधान किया गया है। जिसके तहत संस्थानों को सुझाव दिया गया है कि वे सोशल कॉरपोरेट रेस्पॉसेबिलिटी (सीएसआर) के तहत विभिन्न कंपनियों की सहायता से अपने यहां क्रेच व अन्य उपयोगी स्पेस बना सकते हैं। मास्टर प्लान में कहा गया है कि विश्व के तमाम प्रमुख शहरों में कामकाजी महिलाओं और उनके बच्चों के लिए उनके कार्यस्थल पर विशेष इंतजाम किए गए होते हैं। ऐसे में दिल्ली में भी लगातार तेजी से बढ़ती सिंगल फैमिली और कामकाजी महिलाओं की संख्या को देखते हुए सभी संस्थानों में इसके लिए इंतजाम किए जाने चाहिएं। नए मास्टर प्लान में महिलाओं के लिए बेहतर वर्कप्लेस बनाने के लिए पुलिस थानों और सरकारी कार्यालयों पर विशेष रूप से जोर दिया गया है। मास्टर प्लान में कहा गया है कि पुलिस में भर्ती महिलाओं को अपने बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए उन्हें कार्यस्थल पर बच्चों को लाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए। साथ ही सरकारी कार्यालयों में भी काम करने वाली महिलाओं को अपने बच्चों को कार्यस्थल पर साथ लाने के लिए डयूटी रूल्स में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता पड़े तो सरकारों को करनी चाहिए।
रीजनल नार्थ
महिलाओं के लिए और बेहतर बनेगी दिल्ली