लखनऊ । उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव सभी छोटे दलों से गठजोड़ कर रहे हैं। अखिलेश चुनाव के लिए सभी गैर भाजपाई दलों से गठबंधन के लिए समपर्क साध रहे हैं। इनमें उनके चाचा गोपाल यदव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी शामिल है। इससे पहले तक वह अपने चाचा को एडजस्ट करने और पार्टी के विलय का प्रस्ताव दे रहे थे, जिस पर शिवपाल राजी नहीं थे। माना जा रहा है कि सियासी गणित को समझते हुए अखिलेश ने शिवपाल के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का मन बनाया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, शिवपाल यादव की जसवंतनगर सीट पर सपा चुनाव नहीं लड़ेगी। इसके अलावा अगर उनके साथ और कोई है जो राजनीतिक परिस्थितियों के साथ कहीं लड़ सकता है तो सपा विचार करेगी। प्रदेश के जितने भी छोटे दल हैं उनको साथ लेकर सपा चलेगी। उनका (शिवपाल) भी दल है। उस दल को भी साथ लेगी। अखिलेश ने साफ कहा कि उनकी पार्टी के साथ गठबंधन ही होगा। परिवार में तो पहले से ही हैं। उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इटावा में यादव परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के लिए अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव ने अघोषित रूप से तालमेल कर लिया था। बीजेपी ने सपा के गढ़ इटावा जिले की सभी 24 जिला पंचायत सदस्य की सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, सांसद से लेकर विधायक तक ने यहां प्रचार किया था और पूरा जोर लगाया था, लेकिन शिवपाल-अखिलेश के अंदरूनी गठजोड़ के चलते बीजेपी यहां महज एक सीट ही जीत सकी। सपा ने 9 सपा, 8 प्रसपा, 1 बसपा, 1 बीजेपी से और 5 निर्दलीय जीते हैं। इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भी शिवपाल यादव ने सपा प्रत्याशी अभिषेक यादव उर्फ अंशुल को समर्थन दे रखा था। यह समीकरण पूरे यादव बेल्ट में देखने को मिला है। परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के लिए साथ आकर चाचा-भतीजा बीजेपी को काफी हद तक रोकने में कामयाब रहे। माना जाता है कि इसी तालमेल को यूं ही जारी रखने के लिए 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अपना चाचा शिवपाल यादव के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है।
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शिवपाल पर क्यों बदल गया अखिलेश का मन, विलय नहीं अब होगा गठबंधन -पंचायत चुनाव में साथ आकर चाचा-भतीजा बीजेपी को काफी हद तक रोकने में रहे सफल