नई दिल्ली । देश में महंगाई बढ़ने की वजह से आम लोगों का बजट बिगड़ गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के टारगेट को भी महंगाई दर पार कर गई है। आरबीआई के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि महंगाई दर में वृद्धि तात्कालिक है। उन्होंने कहा देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद लोगों की बढ़ी हुई मांग की वजह से महंगाई बढ़ रही है।
हाई फ्रिकवेंसी इंडिकेटर्स (एचएफआई) ऐसे संकेत दे रहे हैं कि महंगाई पर दबाव कम हो रहा है। इस साल सामान्य मानसून रहने की वजह से खाने पीने के सामान की महंगाई नियंत्रण में रहने की उम्मीद है। आरबीआई के अर्थशास्त्री का कहना है कि राजकोषीय खर्च कम कर उससे बेहतर नतीजे निकालने के लिए एक नए मेट्रिक्स पर काम किया जा रहा है।
आरबीआई के रिसर्च डिपार्टमेंट ने यह मैट्रिक्स तैयार किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। उम्मीद है कि कोरोनावायरस संक्रमण घटने के बाद आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने की वजह से जीडीपी में सुधार दर्ज किया जा सकता है।
आरबीआई के अर्थशास्त्री का मानना है कि साइकल और संरचनात्मक झटके की वजह से अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ में जो कमजोरी दर्ज हुई थी, वह धीरे धीरे ठीक हो सकती है। आरबीआई का मानना है कि सरकार द्वारा पॉलिसी के रूप में लगातार दी जा रही मदद और देश में कोरोनावायरस वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ने के बाद जीडीपी ग्रोथ में सुधार दर्ज किया जा सकता है।
रिजर्व बैंक का मानना है कि महंगाई बढ़ने के कारणों पर करीबी नजर रखी जा रही है। कमोडिटी की कीमत में तेजी और महंगाई के आउटलुक को देखते हुए देश की आर्थिक रिकवरी में चुनौतियां आ सकती हैं। मई में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.3 फीसदी पर पहुंच गई है। यह पिछले छह महीने में खुदरा महंगाई की सबसे ज्यादा दर है।
सरकार की तरफ से हफ्ते की शुरुआत में खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए गए। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स से खुदरा महंगाई दर में बदलाव का पता चलता है। खुदरा महंगाई बढ़ने में सबसे ज्यादा हाथ खाने की चीजों और एनर्जी की कीमतों में आई तेजी का रहा। मई में फूड इनफ्लेशन बढ़कर 5.01 फीसदी पर पहुंच गया है। अप्रैल में यह 1.96 फीसदी था। आरबीआई ने मार्च 2026 तक खुदरा महंगाई दर के लिए 4 फीसदी का लक्ष्य रखा है।
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