डीटीसी बस खरीद में भ्रष्टाचार पर अपनी चुप्पी तोड़ने को कहा
बस अनुबंध पर एक भी फाइल मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंची
निविदा प्रक्रिया से पहले, डीटीसी बोर्ड के एमडी को पदभार ग्रहण करने के 6 महीने के भीतर हटाया गया
नई दिल्ली । पूर्व दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और रोहिणी के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर डीटीसी बस खरीद घोटाले में उनकी चुप्पी और कार्यवाही पर निम्नलिखित प्रासंगिक प्रश्नों के उत्तर देने का आग्रह किया है :-
1. 1,000 लो-फ्लोर डीटीसी बसों की खरीद से संबंधित फाइलें आपको कभी विचार के लिए क्यों नहीं भेजी गईं?
2. निविदा प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व एमडी का पदभार ग्रहण करने वाली गरिमा गुप्ता आईएएस को छह महीने के भीतर ही क्यों हटा दिया गया?
3. नौकरशाह को डीटीसी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने की प्रथा को इस पद पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने के लिए भंग क्यों कर दिया गया?
4. उन 71 कामों की सूची कहां है जो मंत्री एएमसी अनुबंध को सही ठहराने का दावा करने के लिए बता रहे हैं? इसे निविदा प्रक्रिया या वर्क ऑर्डर में शामिल क्यों नहीं किया गया?
5. दो बस आपूर्तिकर्ताओं को पहले तीन वर्षों में रखरखाव शुल्क के नाम पर 1000 करोड़ रुपये क्यों दिए जा रहे हैं, जबकि अनुबंध में तीन साल की वारंटी अवधि का प्रावधान है?
6. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को जांच करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही?
7. दिल्ली सरकार परिवहन विभाग के विजिलेंस कमिश्नर द्वारा 4 जून 2021 को दी गई रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही?
8. यदि बस खरीद में भ्रष्टाचार नहीं हुआ तो परिवहन मंत्री ने वर्क ऑर्डर को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित क्यों किया?
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री को विश्वास में लिए बिना मंत्री कैलाश गहलोत के द्वारा की गई एकतरफा कार्यवाही के पीछे का कारण जानने की मांग की, जिसमें ठेका देना और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने पर इसे वापस लिया जाना शामिल है।
श्री गुप्ता ने अपने पत्र में लिखा है कि यह अकल्पनीय है कि परिवहन मंत्री ने 11 जून 2021 को मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना ही पूरी बस खरीद प्रक्रिया को रोक दिया। सरकार का मुखिया होने के नाते जब उनके संज्ञान में घोर उल्लंघन का मामला लाया जाता है तो उसमें हस्तक्षेप करना उनका कर्तव्य है हालांकि वे अभी भी इस मामले में चुप्पी बनाए हुए है। भले ही उनकी निगरानी में सरकारी खजाने को लूटा जा रहा हो।
श्री गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने अपना नाम बेदाग रखने के लिए अपनी ओर से गंदे कामों का जिम्मा अपने सहयोगी मंत्रियों को सौंपा है। यही वजह है कि सरकार के मुखिया होने के बावजूद मामले से जुड़ी सभी फाइलें मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंच पाई हैं।
पत्र में श्री गुप्ता ने लिखा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अक्सर स्वयं को भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा घोषित किया है। लेकिन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से उनका इनकार पूरी तरह से अलग कहानी कहता है। दरअसल मामले में उनकी पूरी चुप्पी और निष्क्रियता उनके अपराधबोध की ओर इशारा करती है।
श्री गुप्ता ने मांग की कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करें और भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को मामले की जांच करने दें। जांच में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से मंत्री कैलाश गहलोत को डीटीसी के अध्यक्ष पद से और डीटीसी बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर को हटाने की मांग करते हुए डीटीसी बसों की खरीद प्रक्रिया को पारदर्शिता से संचालन करने का आग्रह किया है।
रीजनल नार्थ
विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखा पत्र