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 पंजाब में कांग्रेस विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी दिए जाने पर भड़का विपक्ष 

 पंजाब में कांग्रेस विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी दिए जाने पर भड़का विपक्ष 

चंडीगढ़ । पंजाब कांग्रेस में जारी अंतर्कलह के बीच हुई कैबिनेट बैठक में दो विधायकों के बेटों और एक कैबिनेट मंत्री के दामाद को सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया गया। कैबिनेट के इस फैसले को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया है। विपक्ष ने इसे नौकरियों की बंदरबांट बताते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद को एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर नियुक्त किया है। 
वहीं, कांग्रेस विधायक राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति दे दी गई। प्रताप सिंह बाजवा के भाई और कांग्रेस विधायक फतेह जंग बाजवा के बेटे को भी पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इन तीनों को नौकरी का ऐलान करते हुए सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दलील दी कि इन परिवारों ने प्रदेश के लिए कुर्बानी दी है और आतंकवाद के दौर में इन परिवारों ने अपने लोगों को खोया है। 
उन्होंने कहा पंजाब सरकार की पॉलिसी के हिसाब से नियमों के मुताबिक नौकरी पाने के हकदार हैं और उसी के एवज में इनको नौकरियां दी गई हैं। सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भतीजे और विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर (ग्रेड-2) और विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार नियुक्त किया गया। 
इस प्रस्ताव को विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल ने सिर्फ तीन मिनट में पारित कर दिया। आधिकारिक बयान के मुताबिक, एक विशेष मामले में मंत्रिमंडल की बैठक में अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में निरीक्षक (ग्रुप बी) और भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार (ग्रुप बी) के पद पर नियुक्त करने का निर्णय लिया गया। सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी बयान में कहा कि आवेदनकर्ता अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं, जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। मंत्रिमंडल ने एक अन्य मामले में राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के रूप में भीष्म पांडेय की नियुक्ति को मंजूरी दी, जो जोगिंदर पाल पांडे के पोते हैं जिनकी 1987 में आतंकियों ने हत्या कर दी थी। हालांकि, कैबिनेट में इस बात को लेकर विरोध भी हुआ।
 

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