पेरिस । पाकिस्तान के लिए आज का दिन बेहद अहम है। दरअसल, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की मीटिंग सोमवार को 21 जून को पेरिस में शुरू हो रही, जो 25 जून तक चलेगी। पाकिस्तान तीन साल से इस संगठन की ग्रे लिस्ट में है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि इस बैठक से शायद वह ग्रे लिस्ट से बाहर निकल जाएगा, ताकि उसकी अर्थव्यवस्था कुछ हद तक पटरी पर आ जाए।
आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने को लेकर पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था। तब से वह उस लिस्ट में बना हुआ है। एफएटीएफ ने आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में पाकिस्तान से 27 प्रमुख बिंदुओं पर काम करने के लिए कहा था, लेकिन अब तक उसने कई शर्तों को पूरा नहीं किया है। ऐसे में एफएटीएफ की इस मीटिंग में दुनिया की नजरें रहेंगी।
किसी भी देश के एपएटीएफ की ग्रे लिस्ट में होने का सीधा असर उसे मिलने वाले विदेशी निवेश पर पड़ता है। आयात, निर्यात और आईएमएफ, एडीबी जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में भी अड़चन आती हैं। ई-कॉमर्स और डिजिटल फाइनेंसिंग में भी इसकी वजह से मुश्किल खड़ी होती है। एफएटीएफ में कुल 37 देश और 2 क्षेत्रीय संगठन हैं। 21 से 25 जून के बीच किसी भी दिन पाकिस्तान की किस्मत का फैसला हो सकता है। इस दौरान वोटिंग होगी। अगर पाकिस्तान को ग्रे से व्हाइट लिस्ट में आना है, तो उसे कम से कम 12 सदस्य देशों का समर्थन चाहिए होगा।
पाकिस्तान को एफएटीएफ की 27 शर्तें पूरी करनी थीं। पाकिस्तान को इनमें से 24 को लेकर ज्यादा परेशानी नहीं थी, क्योंकि इन पर अमल मुश्किल नहीं है। मगर 3 शर्तों को लेकर हायतौबा मची है। पड़ोसी मुल्क फरवरी में भी इन शर्तों को पूरा नहीं कर पाया है। अमेरिका और फ्रांस जैसे कई देशों को आशंका है कि अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आ गया, तो उसे पाबंदियों से राहत मिल गई और इसका फायदा वहां मौजूद आतंकी संगठन उठा सकते हैं। भारत, जो पाकिस्तान की धरती से संचालित होने वाली आतंकी गतिविधियों का लंबे समय से भुक्तभोगी है, इस मसले पर करीब से नजर बनाए हुए है। कूटनीतिक मोर्चे पर भारत एफएटीएफ के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को यह बताने की कोशिश की है कि पाकिस्तान ने आखिर आतंकवाद के संबंध में अब तक क्या 'ठोस कार्रवाई' की है।
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ग्रे लिस्ट से बाहर आ पाएगा आतंक का रहनुमा पाक? 21 से 25 जून के बीच पेरिस में होगा फैसला