नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का चयन हुआ है। इन दोनों में सरकार अपनी 51 फीसदी की हिस्सेदारी पहले चरण में बेचेगी। खबर से दोनों बैंकों के शेयरों में सोमवार को 20 फीसदी तक का उछाल देखने में मिला है। इंडियन ओवरसीज बैंक के शेयर इस खबर के पहले 19.85 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे जो अचानक 19.80 फीसदी चढ़कर 23.60 रुपए पर पहुंच गए। वहीं सेंट्रल बैंक के शेयर 20 रुपए से 19.80 फीसदी चढ़कर 24.20 रुपए पर पहुंच गए। इस तरह बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शेयर 8 फीसदी बढ़कर 27 रुपए पर, जबकि बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 7 फीसदी बढ़कर 80 रुपए पर कारोबार कर रहा है। इन दोनों बैंको के प्राइवेटाइजेशन के लिए सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव के साथ कुछ अन्य कानून में बदलाव करेगी। साथ ही आरबीआई के साथ भी चर्चा करेगी। नीति आयोग ने इन दोनों बैंकों के नाम की सिफारिश थी। आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी। सरकार ने वित्त वर्ष 22 के लिए विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने की लक्ष्य रखा है। प्राइवेट होने वाले दोनों बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक की शेयर बाजार में मार्केट वैल्यू इनके शेयर प्राइस के मुताबिक, 44,000 करोड़ रुपए है। जिसमें इंडियन ओवरसीज बैंक का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपए है। बैंकों के निजीकरण से ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि जिन बैंकों का निजीकरण होने जा रहा है, उनके खाताधारकों को कोई नुकसान नहीं होगा। ग्राहकों को पहले की तरह ही बैंकिंग सेवाएं मिलती रहेंगी। दरअसल इस समय केंद्र सरकार विनिवेश पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
इकॉनमी
प्राइवेटाइजेशन के लिए चुने जाने के बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और आईओबी के शेयर उछाले