बॉलीवुड में जगह बनाना आसान नहीं होती है। माना जाता रहा है कि अभिनेता बनने के लिए लंबी कद-काठी, गोरा रंग और दमदार आवाज जरुरी है पर मगर कुछ कलाकार इसके अपवाद रहे हैं उन्हीं में एक पंकज कपूर भी हैं। पंकज कपूर ने भले ही ज्यादा फिल्में ना कीं हों, या अधिकतर फिल्मों में सपोर्टिव रोल में नजर आएं हों, मगर जितनी भी कीं उसमें उनके के अभिनय की खूब प्रशंसा हुई। वह अधिकतर फिल्मों में सहयोगी कलाकार की भूमिका में दिखे हैं। साधारण शक्ल और और छोटा कद होन के कारण पंकज के लिए फिल्मों में काम करना इतना आसान नहीं था। इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी जगह बनायी।
पंकज ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग की शिक्षा ली। 1982 में गांधी फिल्म से उन्होंने करियर की शुरुआत की। इसके बाद से उन्होंने एक एक्टर, स्टोरी राइटर, स्क्रीन राइटर और डायरेक्टर के तौर पर काम किया। गांधी फिल्म के बाद उनकी लोकप्रिय फिल्मों में जाने भी दो यारों, मंडी, एक डॉक्टर की मौत, चमेली की शादी, एक रुका हुआ फैसला, रोजा, मकबूल, दि ब्लू अम्ब्रैला और फाइंडिंग फैनी रही हैं।
उन्होंने खलनायक, कॉमेडियन लीड और सहयोगी कलाकार, लगभग हर तरह की भूमिकाएं निभाई हैं। पंकज कपूर के अलावा ओम पुरी ही एक ऐसा कलाकार रहे जिन्होंने चेचक के धब्बों के बाद भी अपने अभिनय से एक विशेष जगह बनायी। अभिनया के प्रति अपने जुनून के कारण ही पंकज अपने कैरियर में सपफल रहे।
निजी जीवन की बात करें तो पंकज ने दो शादियां कीं। उन्होंने पहली शादी नीलिमा अजीम से साल 1965 में की थी। ये शादी 1974 में टूट गई। इसके बाद उन्होंने अभिनेत्री सुप्रिया पाठक से साल 1988 में शादी की। पंकज कपूर के बेटे शाहिद कपूर ने भी अभिनेता के तौर पर फिल्मों में अपनी पहचान बनायी है।
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पंकज कपूर ने अभिनय से बनायी अपनी जगह