भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के केंद्र सरकार में शामिल होने के बाद पार्टी में नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के चलते शाह ज्यादा समय तक अध्यक्ष नहीं रहेंगे। नए अध्यक्ष के लिए जेपी नड्डा व भूपेंद्र यादव के नाम की चर्चा है। दोनों संगठन के मामलों में माहिर माने जाते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी अमित शाह ने संभाली थी और 80 में से 73 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी। जो केंद्र में भाजपा सरकार के लिए सबसे अहम थी। इस बार मोदी ने यूपी का मोर्चा जेपी नड्डा को सौंपा और भाजपा के 62 सीटों के साथ एनडीए के हिस्से में 64 सीटे आईं, वह भी तब जब राज्य में सपा,बसपा और रालोद का मजबूत माने जाने वाला महागठबंधन था। नड्डा एबीवीपी के समय से राजनीति में सक्रिय हैं। युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष व राज्य में मंत्री व विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे। राष्ट्रीय स्तर पर महासचिव के साथ मोदी की पहली सरकार में मंत्री भी रहे हैं। संगठनात्मक मामलों पर उनकी गहरी पकड़ रही है। नड्डा का नाम पहले भी अध्यक्ष के लिए चर्चा में आया था तब यह जिम्मेदारी शाह को दी गई थी। भूपेंद्र यादव ने भी शाह की टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । गुजरात व बिहार के प्रभारी के साथ वे यूपी विधानसभा चुनाव में भी उनकी भूमिका अहम रही है। यादव मोदी व शाह के भी करीबी माने जाते है। 1980 में भाजपा के गठन के बाद से अब तक 10 पार्टी अध्यक्ष बने हैं। अमित शाह को 2014 में पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था। शाह के पद त्याग करने पर 11वां अध्यक्ष पार्टी की कमान संभालेगा। वर्ष 2014 में भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी राजनाथ सिंह संभाल रहे थे लेकिन मोदी सरकार में गृहमंत्री बनाए जाने के बाद उन्होंने परंपरा और पार्टी संविधान के तहत अपना पद छोड़ दिया था। नए अध्यक्ष के लिए खुद को साबित करने की चुनौती होगी क्योंकि अमित शाह के करिश्माई नेतृत्व में पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने के साथ-साथ विधानसभाओं और लोकसभा में बंपर जीत दर्ज की है।