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अब कोरोना को समाप्त  करने का वेक्सिन ही एक मात्र उपाय 

अब कोरोना को समाप्त  करने का वेक्सिन ही एक मात्र उपाय 

देश में हर जिले में  वैक्सीनेशन का विशाल मेगा शिविर लगे । वैक्सीन लगाने जो स्वास्थ्य विभाग ने लक्ष्य रखा था उससे 21 फीसद ज्यादा लोगों ने वैक्सीन लगवाई। तेजी से वैक्सीनेशन होने के कारण यह कोरोना महामारी को खत्म करने में काम करेगी। सरकार की तरफ से बड़ी आबादी को वैकसीनेट करने का लक्ष्य है।कोरोना महामारी की दूसरी लहर धीरे-धीरे खत्म हो रही है। विज्ञानिक लगातार तीसरी लहर आने की बात कर रहे है। इससे युवाओं के साथ बच्चों पर प्रभाव पड़ने की बात कही जा रही है। लेकिन सरकार ने उस लहर से पहले बड़ी आबादी को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य रखा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ही वैक्सीनेशन शिविर लगाया गया। इस मेगा शिविर में हजारों  युवाओं, बुजुर्ग, कर्मचारी व अन्य लोगों को वैक्सीन लगानी थी। देश  में कोरोना मरीज भले-चंगे हो रहे हैं उसे देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि हम अब इस संक्रमण की पुनरावृत्ति को रोकें और बिना कोई लापरवाही बरते कोरोना से बचाव के उन नियमों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनायें जो संक्रमण की रोकथाम के लिए आवश्यक माने जाते हैं। अब देश भर से 50 हजार के करीब कोरोना के मामले आ रहे हैं और भारत के कुल साढे़ सात सौ के लगभग जिलों में से 78 जिले ही ऐसे हैं जिनमें संक्रमितों की संख्या बहुत मामूली दर से बढ़ रही है। यह उत्साहजनक संकेत है जिसे बरकरार रखने में नागरिकों को संयम से काम लेना चाहिए। मगर इसके साथ-साथ यह भी जरूरी है कि कोरोना मरीजों की लगातार कम होती संख्या के क्रम को बदस्तूर जारी रखने के लिए प्रत्येक वयस्क नागरिक को वैक्सीन जल्द से जल्द लगाई जाये। आज से 18 वर्ष से 44 वर्ष तक के नागरिकों के लिए भी मुफ्त वैक्सीन लगाने की योजना शुरू हो चुकी है जिसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि भारत के पास वैक्सीन का यथोचित भंडार है कि नहीं। अब वह समय बीत चुका है कि हम वैक्सीन खरीद और लगाने की नीतियों की नुक्ताचीनी में उलझे रहे, अब जरूरी यह है कि प्रत्येक को वैक्सीन लगा कर निश्चिन्तता का वातावरण तैयार किया जाये। चूंकि अब वैक्सीन केन्द्र सरकार ही खरीदेगी  और राज्यों को वितरित करेगी तो प्रादेशिक सरकारों को अपने चिकित्सा तन्त्र को सावधान मुद्रा में लाना होगा। केन्द्र ने वैक्सीन लगवाने के लिए पंजीकरण नीति में भी ढिलाई बरती है और लोगों को विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को सुविधा दी है कि वे सीधे चिकित्सा केन्द्रो पर जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। अतः जिला व पंचायत स्तर पर बहुत सतर्कता बरतने की आवश्यकता होगी। लेकिन यह सब काम इस बात पर निर्भर करेगा कि वैक्सीन पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध हों। फिलहाल भारत में तीन वैक्सीनें उपलब्ध हैं। कोविशील्ड, कोवैक्सीन व स्पूतनिक। इनमें सपहली दो का उत्पादन भारत में ही होता है। इनकी उत्पादन क्षमता में इस प्रकार वृद्धि की जा रही है कि आगामी दिसम्बर मास तक प्रत्येक नागरिक को दो बार टीका लग सके। जो कमी होगी उसे स्पूतनिक का रूस से आयात करके पूरा किया जायेगा। इस बारे मे विशेषज्ञों की सलाह पर काम करना बहुत जरूरी होगा जिससे दो वैक्सीनों के लगाने के बीच के अन्तराल पर किसी प्रकार का विवाद पैदा न हो सके।
मुख्य सवाल नागरिकों की सुरक्षा का है और उनकी सुरक्षा से ही देश सुरक्षित रहेगा अतः इस मामले में किसी प्रकार का भ्रम सीधे राष्ट्रीय हितों से जाकर जुड़ जाता है। यह इसलिए है क्योंकि बिना अर्थव्यवस्था के सुचारू हुए हम आम लोगों के जीवन में खुशियां वापस नहीं ला सकते हैं। वर्तमान में बेरोजगारी की दर 14 प्रतिशत से ऊपर हो चुकी है और मंहगाई की दर में भी लगातार वृद्धि हो रही है। इससे आम नागरिकों पर दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि कोरोना काल के दौरान 97 प्रतिशत लोगों की आय में कमी दर्ज हुई है। यह कमी बताती है कि हमें आर्थिक मोर्चे पर प्रगति करने के लिए जल्द से जल्द प्रत्येक नागरिक के वैक्सीन लगाने पर वरीयता देनी पड़ेगी। भारतीय उद्योग महापरिसंघ (सीआईआई) के चेयरमैन श्री एन.के. नरेन्द्रन् के मतानुसार अर्थ व्यवस्था का उदय इसी बात पर निर्भर करता है कि हम कितनी जल्दी अपने लोगों का टीकाकरण करते हैं। श्री नरेन्द्रन् टाटा स्टील्स के प्रबन्ध निदेशक भी हैं और जानते हैं कि आर्थिक जगत के लिए मानवशक्ति का कितना महत्व होता है। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर ने लघु व मध्यम वर्ग के उद्योगों समेत पर्यटन व सेवा क्षेत्र को चौपट करके रख दिया है। होटल, पर्यटन, परिवहन व यातायात से लेकर वाणिज्यिक गतिविधियां लगभग ठप्प सी हो गईं जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था सन्नाटा मारती रही है। इस स्थिति को अगर हमें बदलना है तो नागिकों का टीकाकरण जल्द से जल्द कराना ही होगा। इसके साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि कोरोना लहर के थम जाने से हम अति उत्साह में सामान्य सामाजिक गतिविधियों को धीरे-धीरे ही खोलें क्योंकि जरा सी भी लापरवाही संक्रमण को पुनः जीवित होने का मौका दे सकती हैं। ऐसा विशेषज्ञों का ही कहना है। अतः सब्र से काम लेते हुए हमें चुनिन्दा क्षेत्रों मे सावधानी बरतनी पड़ेगी। विशेषकर ऐसे क्षेत्रों में जिनका उन आधारभूत आर्थिक मानकों से ज्यादा सम्बन्ध नहीं है जिनकी जरूरत आम व गरीब तबके के लोगों की नहीं होती। दुर्भाग्य से ये क्षेत्र होटल व पर्यटन ही हैं। वाणिज्यिक व औद्योगिक गतीविधियों को खोलने की मजबूरी हो सकती है क्योंकि ये क्षेत्र सर्वाधिक रोजगार मुहैया कराते हैं जिसकी वजह से वैक्सीन की उपलब्धता व इसका लगाया जाना महत्व रखता है।
(लेखक-अशोक भाटिया)

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