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डेंगू के इलाज में उपयोग हो रहा पपीते की पत्तियों का - डेंगू में पपीते के फल के साथ पत्तियां भी है उपयोगी 

डेंगू के इलाज में उपयोग हो रहा पपीते की पत्तियों का - डेंगू में पपीते के फल के साथ पत्तियां भी है उपयोगी 

नई दिल्ली । यूं तो आयुर्वेद में पपीते की पत्तियों का उपयोग सालों से होता आया है लेकिन डेंगू के इलाज के लिए इसका प्रयोग इन दिनों खूब किया जा रहा है। डेंगू में जितना उपयोगी पपीते का फल है, इसकी पत्तियां भी बहुत उपयोगी साबित हो रही हैं।  इसका प्रयोग आयुर्वेद में कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। अगर पपीते की पत्तियों का रोज सेवन किया जाए तो कई बीमारियां दूर रह सकती हैं। पपीते की पत्तियां लें और अच्छी तरह पानी से धोकर इन्हें जूसर में पीस लें। अब इसे छननी से छान लें। आप इसे कांच की बोतल में स्टोर कर फ्रिज में भी रख सकते हैं। ठंडा होने के बाद इसे पी लें। ये डेंगू और मलेरिया जैसे बुखारों में काफी फायदा करता हैं। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है। प्लेटलेट्स में कमी और तेज बुखार से शरीर टूटने जैसा महसूस होने लगता है। ऐसे में अगर पपीते के पत्ते का सेवन किया जाए तो प्लेटलेट्स की संख्या को तेजी से बढ़ोत्तरी होती है। पपीते में अल्कलॉइड, पेपैन जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। आयुर्वेद में पपीते की पत्तियों के जूस या अर्क का प्रयोग मलेरिया के इलाज के लिए भी किया जाता है। पपीते की पत्तियों में प्लाज्मोडीस्टैटिक प्रॉपर्टीज होती हैं जो मलेरिया के फीवर को कंट्रोल करने में मदद करता है।​ इसके अलावा  पपीते की पत्तियों में पेपिन, काइमोपेपिन औऱ कई जरूरी फाइबर होते हैं जो पाचनतंत्र को ठीक रखता है। अगर इसका सेवन किया जाए तो पेट फूलना, सीन में जलन होना, खट्टे डकार आना, अपच महसूस होना और कब्ज जैसी समस्याएं दूर होती हैं।पपीते की पत्तियों का जूस पीने से स्किन और बाल की समस्याएं भी दूर रहती हैं। इसके सेवन से स्किन पर पिंपल, ऐक्ने आदि से छुटकारा मिलता है। इन पत्तियों को पीस कर आप बालों के स्कैल्प पर लगा सकते हैं जिससे डैंड्रफ भी दूर होता है। पपीते की पत्तियों के सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम किया जा सकता है और यह  खून को भी साफ करता है। कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहने से लिपिड का पेरॉक्सिडेशन भी कम होता है जिससे लिवर से संबंधित कई बीमारियां जैसे पीलिया, लिवर सिरॉसिस आदि दूर रहते हैं। 
 

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