चंडीगढ़ । कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा सरकार द्वारा धान पर मार्केट फीस की बढ़ोतरी करने और एचआरडीएफ फीस को बढ़ाने की तैयारी को किसान विरोधी फरमान बताते हुए भाजपा-जजपा सरकार से इस फैसले तो तुरंत वापिस लेने की मांग की है।
खट्टर- चौटाला सरकार द्वारा 1509, मुच्छल, सरबती, 1121 सहित धान की सभी किस्मों पर मंडियों में मार्केट फीस और एचआरडीएफ को एक प्रतिशत से बढाकर चार प्रतिशत करने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए श्री सुरजेवाला ने कहा कि कोरोना काल में इस अदूरदर्शी फैसले से हरियाणा के किसान के धान को या तो अपनी फसल पडोसी राज्यों मंडियों में बेचनी पड़ेगी या उसे व्यापारियों को धान 100-150 रुपए प्रति क्विंटल सस्ता बेचना पड़ेगा।
श्री सुरजेवाला ने कहा कि पिछले वर्ष प्रदेश में 42.5 लाख मैट्रिक टन बासमती और 1509 धान हुआ, जबकि 56 लाख मैट्रिक टन परमल हुआ, अब मार्केट फीस और एचआरडीएफ बढ़ाने से किसानों के अलावा मंडी के आढ़तियों, मुनीमों, मजदूरों और राइस मिलर्स सभी पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा, पर स्वाभाविक रूप से इस फैसले का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव किसानों पर पड़ेगा। किसान को या तो अपने धान को पंजाब-दिल्ली आदि पडोसी प्रदेशों में बेचना पड़ेगा, जिससे किसान को अपने समय के साथ-साथ दूसरे राज्यों में ट्रांसपोर्ट का खर्चा किसान को भी देना पड़ेगा, उसकी लागत बढ़ेगी।
श्री सुरजेवाला ने कहा कि किसान अगर अन्य प्रदेशों की मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए जाते हैं, तो इससे उन्हें आर्थिक नुक्सान होगा बल्कि सरकार को भी राजस्व कम मिलेगा। हमारा धान पडोसी प्रदेशों में जाने से प्रदेश सरकार को उम्मीद के अनुसार टैक्स भी नहीं मिलेगा। प्रदेश में धान बेचने की स्थिति में व्यापारी देश या विदेश के खुले बाजार से मिलने वाली कीमतों में से बढ़ी हुई मार्केट और एचआरडीएफ फीस जो लगभग सौ से डेढ़ सौ रुपए प्रति क्विंटल आएगी को कम देंगे और उसकी वसूली किसानों से करेंगे, जिससे इस फैसले के अनुसार प्रदेश के किसानों पर लगभग 500-600 करोड़ का आर्थिक बोझ पड़ेगा।
श्री सुरजेवाला ने कहा कि यमुनानगर, कैथल, अंबाला, जींद, सिरसा, फतेहाबाद, पानीपत, करनाल, सोनीपत जिलों सहित हमारे राज्य के बड़े हिस्से में बहुतायात में धान की फसल उगाई जाती है। इन सभी जिलों के किसानों को जब आर्थिक नुक्सान होगा तो इसका सीधा असर प्रदेश की आम जनता पर भी पड़ेगा।
श्री सुरजेवाला ने कहा कि एक ओर सरकार इस बात का दम भरती है कि मंडिया समाप्त नहीं होगी, लेकिन हरियाणा स्टेट मार्केटिंग बोर्ड नुकसान के नाम पर कोरोना के समय में जो निर्णय लिए जा रहे हैं, वह साफ तौर पर संकेत दे रहे हैं कि सरकार मंडियों को समाप्त करके किसानों की फसलों को निजी हाथों में देना चाहती है। मार्केट फीस बढ़ने पर हरियाणा का धान हरियाणा की मंडियों के बाहर बिकेगा जिसका सीधा असर हरियाणा की मंडियों पर पड़ेगा और वे बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएंगी। सरकार की इस नए फैसले से भी यह भी स्पष्ट हो गया है कि वह व्यापारियों व किसानों दोनों को समाप्त करना चाहती है। यह फैसला अनाज मंडियों की तालाबंदी तथा किसानों को निजी कंपनियों की बंधुआ बनाने की तरफ एक कदम साबित होगा।
रीजनल नार्थ
भाजपा-जजपा सरकार है किसान-व्यापारी विरोधी जुगलबंदी