बीजिंग। कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन शुरुआत से ही सवालों के घेरे में हैं। चीन भले ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति में अपना हाथ होने से इनकार कर रहा हो, लेकिन उसके खिलाफ कई सबूत सामने आए हैं। इस बीच अमेरिका में एक नया दावा किया गया है कि चीन ने कोरोना महामारी की उत्पत्ति की जांच को प्रभावित करने के लिए वायरस जीनोम के सोर्स तक पहुंचने की एक अहम कड़ी हटवा दी है।
अमेरिकी मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला सामने आया था। चीन तभी से वुहान में कोरोना संक्रमण के स्रोत की जांच में बाधा बना हुआ है। उसने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद महीनों जांच को टालने का प्रयास किया। उसने वीटो का उपयोग करके खुद बच निकलने के लिए जांच के दायरे में अन्य देशों को लाने की कोशिश की।
अब पता चला है कि चीन ने वुहान में दर्ज शुरुआती संक्रमणों की जीनोम सीक्वेंसिंग से जुड़ा डाटा अमेरिकी डाटा बेस से हटवा दिया है। एक चीनी शोधकर्ता के इस अध्ययन का डेटा अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के पोर्टल पर था। अमेरिकी संस्थान ने वह अध्ययन करने वाले चीनी शोधकर्ताओं की गुजारिश पर वह डाटा अपने पोर्टल से डिलीट कर दिया है। अमेरिका के सिएटल के हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर में वायरोलॉजिस्ट जेसी ब्लूम के अनुसार, 3 महीने पहले जमा किए गए चीनी शोधकर्ता के इस शोध की अन्य वैज्ञानिक संस्थान समीक्षा करते, उससे पहले ही चीन ने उसे डिलीट करवा दिया है।
इस अमेरिकी डेटा बेस का दुनियाभर के रिसर्चर्स प्रमुखता से इस्तेमाल करते हैं। अमेरिकी संस्थान में एक बयान में कहा कि चीनी शोधकर्ताओँ के कहने पर उसने यह शोध पत्र अपने डाटा बेस से हटा दिया है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, वायरस की उत्पत्ति जानने के लिए इस साल के शुरू में वुहान पहुंची डब्ल्यूएचओ की टीम को पहले से जारी रिसर्च के बारे में अंधेरे में रखा गया। इससे टीम को वायरस से जुड़ी जानकारियां जुटाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। चीन की सहमति के बिना वह कोई भी जांच गहराई से नहीं कर सकती थी। चीन में सबसे पहले मिले कोविड-19 के मामलों का कच्चा डेटा जांच टीम को नहीं दिया गया।
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वायरस की उत्पत्ति की जांच से बचने के लिए चीन ने डिलीट करवाया जीनोम सीक्वेंसिंग से जुड़ा डेटा