नई दिल्ली । भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश तेजी से बढ़ रहा है, इसको देखकर ऐसा लग रहा है कि निवेशक बिटकॉइन को नए जमाने का सोना मान रहे हैं। दुनिया में सोने की सबसे ज्यादा खपत भारत में है, क्योंकि इसे सुरक्षित निवेश का सबसे अच्छा जरिया माना जाता रहा है। भारत में परिवारों के पास 25,000 टन से ज्यादा सोना है। इधर, चाइनालिसिस क्रिप्टोकरेंसी में भारत में निवेश एक साल में 20 करोड़ डॉलर से बढ़कर 40 अरब डॉलर पहुंच गया है। यह तब है जब भारतीय रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर खुश नहीं है। वह क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है। 32 साल की उद्यमी रिची सूद उन निवेशकों में हैं, जिन्होंने गोल्ड की जगह क्रिप्टो में पैसे लगाना शुरू किया है। पिछले साल दिसंबर से वह इसमें 10 लाख रुपये से ज्यादा रकम निवेश कर चुकी हैं। इसमें से कुछ रकम उन्होंने अपने पिता से उधार लिया है। उन्होंने मुख्य रूप से बिटकॉइ, डॉगकॉइन और इथर में निवेश किया है। सूद ने क्रिप्टो में निवेश से अच्छा मुनाफा भी कमाया है। जब इस साल फरवरी में बिटकॉइन की कीमत 50,000 डॉलर तक पहुंच गई तो उन्होंने जमकर मुनाफावसूली की। फिर हाल में आई गिरावट के बाद उन्होंने फिर से इसमें निवेश कर दिया। इससे उन्हें अपने कारोबार का विस्तार करने में काफी मदद मिली है। सूद कहती हैं कि मैं सोने की जगह अपना पैसा क्रिप्टो में डालना पसंद करूंगी। क्रिप्टो सोना और प्रॉपर्टी के मुकाबले ज्यादा पारदर्शी है। इससे छोटी अवधि में अच्छा रिटर्न कमाया जा सकता है। देश में 1.5 करोड़ से ज्यादा ऐसे निवेशक हैं, जो डिजिटल कॉइन खरीद और बेच रहे हैं।
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भारत में तेजी से बढ़ रहा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश - क्या बिटकॉइन को नए जमाने का सोना मान रहे हैं भारतीय?