नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर कई तरह के टैक्स में बढ़ोतरी की है। इससे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इससे इनकी कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। इसका असर आम लोगों पर पड़ रहा है। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों ने बाइक और कार से ऑफिस जाने वाले लोगों का बजट बिगाड़ दिया है। डीजल की कीमतें बढ़ने का इससे भी ज्यादा असर पड़ा है। उधर, वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें भी बढ़ रही हैं। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से लोग अपनी कार के इस्तेमाल के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेने को बाध्य किया है।
मुंबई जैसे देश के बड़े शहरों में पेट्रोल की कीमत न्यूयॉर्क के मुकाबले दोगुनी हो गई है। इससे देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो रहा है। इसकी वजह यह है कि भारत पेट्रोलियम की अपनी जरूरत के बड़े हिस्से का आयात करता है। इस पर हर साल काफी विदेशी मुद्रा खर्च होती है। कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के बाद आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं। इससे डीजल और पेट्रोल की मांग भी बढ़ रही है। देश में सबसे बड़ी ऑयल कपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के मुताबिक, पिछले तीन साल में मुंबई में पेट्रोल का भाव 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है। इसी दौरान डीजल के भाव में करीब 33 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का सीधा असर मुद्रास्फीति यानी महंगाई पर पड़ रही है। उधर, दूसरी कमोडिटी की कीमतों में भी तेजी का रुख है। इससे महंगाई को हवा मिल रही है। पेट्रोल पर केंद्र सरकार का टैक्स पिछले सात साल में बढ़कर तीन गुना हो गया है। इसी दौरान डीजल पर केंद्र सरकार का टैक्स करीब सात गुना हो गया है। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। देश के कई हिस्सों में पेट्रोल का भाव 100 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा हो गया है। इसका सीधा असर देश के मध्यम वर्ग पर पड़ रहा है। मध्यम वर्ग को इकोनॉमिक ग्रोथ का इंजन माना जाता है। इक्रा के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल पर ज्यादा टैक्स के चलते लोगों की खर्च करने योग्य आय घट रही है। इससे महंगाई पर भी दबाव बढ़ रहा है। इक्रा मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस की लोकल इकाई है। इक्रा के वाइस-प्रेसिडेंट प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं कि पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों का असर ग्रोथ पर पड़ेगा। यह अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की संभावनाओं को भी प्रभावित करेगा। कीमतें एक स्तर से ज्यादा हो जाने पर लोगों को दिक्कत होने लगती है। वे ट्रेवल करना कम कर देते हैं और ईंधन खर्च घटाना करना शुरू कर देते हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कॉन्ग्रेस के प्रेसिडेंट कुलतरण सिंह अटवाल ने कहा, पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों के चलते लाखों छोटे ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स और उनसे जुड़े लोगों की रोजीरोटी पर असर पड़ा है। उन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ईंधन की कीमतों में कमी नहीं करती तो वे इस हफ्ते देशभर में विरोध जताएंगे। जरूरत पड़ने पर हड़ताल की भी योजना है।
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पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें इकोनॉमी के लिए बड़ा खतरा -कीमतों ने बाइक और कार से ऑफिस जाने वाले लोगों का बजट बिगाड़ा