नई दिल्ली । जोड़तोड़ की राजनीति के लिए मशहूर बिहार में एलजेपी के दो फाड़ होने से जो फूट पड़ी है, उससे दोनों खेमों की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अभी ये सब सिर्फ बयानों तक ही सीमित है, जमीन पर कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ है। अब निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक दस्तावेजों के हवाले से तो अभी तक पारस गुट की तरफ से लोक जनशक्ति पार्टी पर या फिर लोजपा के चुनाव चिन्ह बंगले और झंडे पर कोई दावा नहीं किया गया है। ऐसे में आयोग लोजपा पर किसी दूसरे गुट की तरफ से बिना दावा किए ही कैसे उसका अधिकार मान सकता है?
हालांकि लोकजन शक्ति पार्टी के कार्यसमिति में अध्यक्ष के चुनाव और अन्य गतिविधियों के साथ पारस गुट की तरफ से किए गए फैसलों की जानकारी जरूर चुनाव आयोग को दी गई है। लेकिन ये जानकारी किसी पार्टी पर अधिकार या दावे पर सुनवाई के लिये काफी नहीं है।
पशुपति पारस गुट की तरफ से किए गए तमाम फैसलों की जानकारी चुनाव को दी तो गई है लेकिन अब तक कोई भी प्रतिनिधिमंडल पारस गुट की तरफ से चुनाव आयोग से मिला नहीं है और ना ही पार्टी के चुनाव चिन्ह और पार्टी पर दावे को लेकर चुनाव आयोग से सुनवाई की मांग की गई है।
दूसरी ओर एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान चुनाव आयोग से पहले ही मिल कर आयोग से गुहार लगा चुके हैं कि किसी की तरफ से एलजेपी पर दावा किया जाता है तो उसे प्रथम दृष्टया ही खारिज कर दिया जाए। क्योंकि दूसरा गुट अवैध रूप से पार्टी पर अधिकार करना चाहता है। ऐसे में अगर चुनाव को कोई फैसला भी करना है तो पहले चिराग पासवान का पक्ष सुना जाए।
दरअसल हाल ही में एलजेपी के 6 सांसदों में से 5 ने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर लोकसभा में संसदीय दल के नेता के तौर पर पशुपति कुमार पारस के चयन का दावा कर दिया था। पारस एलजेपी के संस्थापक और दशकों तक अध्यक्ष रहे, राम विलास पासवान के छोटे भाई और मौजूदा अध्यक्ष चिराग पासवान के सगे चाचा हैं। हालांकि निर्वाचन आयोग ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है लेकिन संसद में व्यवस्था हो गई है। स्पीकर ओम बिरला ने पारस गुट के प्रस्ताव को मानते हुए उनको लोकसभा में पार्टी के नेता की भी मंजूरी दे दी है। इसके अलावा पारस गुट ने नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन करके खुद को पार्टी का अध्यक्ष भी बनवा लिया है। वहीं, चिराग पासवान ने भी एलजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाकर पारस गुट के फैसलों को पार्टी विरोधी गतिविधि बताकर खारिज कर दिया है। एलजेपी के पारस गुट के महासचिव संजय श्रॉफ के मुताबिक हमने पार्टी संविधान के मुताबिक चुनाव कराए और कार्यकारिणी गठित की। बिना चुनाव कराए आजीवन अध्यक्ष बने रहने की जिद पर अड़े चिराग तब सो रहे थे। हमें अलग से दावा करने की ज़रूरत नहीं है। दावा वो करें जिनको खुद पर भरोसा नहीं।
रीजनल ईस्ट
फूट के बाद भी एलजेपी की कमान चिराग पासवान के पास!