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स्वामी राम शंकर अपने वैचारिक अंदोलन को डिजिटल हथियारों के साथ  आगे बढ़ा रहे

स्वामी राम शंकर अपने वैचारिक अंदोलन को डिजिटल हथियारों के साथ  आगे बढ़ा रहे

  बैजनाथ । डिजिटल बाबा के नाम से मषहूर स्वामी राम शंकर यूं तो उत्तर प्रदेष के रहने वाले हैं लेकिन उन्होंने अब हिमाचल प्रदेष के जिला कांगडा के बैजनाथ कस्बे को ही अपनी कर्मभूमि बना लिया है वह ऐसे संत हैं जो कथ कहानियां व धार्मिक प्रवचन इस आधुनिक युग में डिजिटल माध्यमों से ही सुनाते हैं जिससे उन्हें न केवल डिजिटल बाबा के तौर पर पहचान मिली है बल्कि लोकप्रियता के मामले में भी अलग मुकाम हासिल किया है
देष दुनिया में साधु संतों की भीड़ में स्वामी राम शंकर अपनी ओर हर किसी का ध्यान खींचते हैं युवा पीढ़ी को धर्म अध्यात्म से जोड रहे रहे हैं। वह आधुनिक संचार माध्यमों से रोजाना लोगों से जुड़ते हैं।
 डिजिटल बाबा ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के नागेश्वर महादेव मंदिर में रहते हैं। आम तौर पर साधु महात्मा आपको किस्से कहानियां या धार्मिक ग्रंथों से ही संदर्भ सुनाते मिलते हैं। लेकिन डिजिटल बाबा स्वामी राम शंकर अपने वैचारिक अंदोलन को डिजिटल हथियारों के साथ  आगे बढ़ा रहे हैं। उनके हाथ में हमेशा लैपटाप, मोबाइल रहता है और अपने भक्तों से फेसबुक, वाट्सएप के माध्यम से जुड़े रहते हैं। यही वजह है कि अपने कार्यशैली व व्यक्तित्व के कारण लोगों के बीच स्वामी राम शंकर चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस युवा साधु को डिजिटल बावा के नाम से मषहूरी मिली है।हिमाचल की वादियों में वैसे तो अनेक संत महात्मा सदियों से निवास करते आ रहे हैं पर ये युवा संत न केवल यहां रह कर साधना करते है, बल्कि समय-समय पर पहाड़ों की खूबसूरत वादियों से फेसबुक लाइव के माध्यम से सोशल मीडिया में युवाओं को अपने धर्म संस्कृति से जोडऩे के लिए सीधे मुखातिब होता रहता है। कभी पार्क में तो कभी बाजार में जब जहां युवा वर्ग इन्हें दिख जाता, वहीं उनके साथ संवाद आरंभ कर देते हैं। मजेदार बात ये है कि युवा भी इस युवा साधु से संवाद कर बेहद प्रसन्न एवं आनंदित दिखाई देते है। वैसे तो स्वामी राम शंकर भी पूरी तरह से पारंपरिक वेष भूषा धारण किए सदियों से चले आ रहे साधुओं के गेरू लिबास में लिपटे नजऱ आते हैं पर इस युवा साधु में एक नहीं कई ऐसी बातें हैं, जो इन्हें अन्य साधुओं से बिल्कुल अलग खड़ी कर देती हैं।
 उत्तर प्रदेश के गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीकाम तक की पढ़ाई करने के बाद इस युवा संन्यासी ने वर्ष 2008 में अयोध्या के लोमश ऋषि आश्रम के महंथ स्वामी शिवचरण दास महाराज से वैष्णव परंपरा अनुसार संन्यास की दीक्षा प्राप्त किया। विद्यर्थी जीवन में स्वामी राम शंकर एक शानदार रंगकर्मी भी रहे बचपन में इनका सपना था कि बालीवुड में एक अभिनेता के रूप में खुद को स्थापित करे।इस सपने को सार्थक करने के लिए रंगमंच के जरिए देश भर के अनेक प्रदेशों में अपने अभिनय का शानदार मंचन भी किया। वो कहते हैं न, कि जिंदगी में हम वो किरदार निभाते हैं जो रब चाहता है और शायद यही सबसे बड़ी वजह है कि 20 वर्ष की अल्पायु में ही ग्लैमर की दुनिया का सपना सजोने वाला ये युवा वैराग्य जैसे कठिन मार्ग का पथिक बन गया। स्वामी राम शंकर अपने किसी कार्य के लिए कोई सेवा शुल्क नहीं लेते, बल्कि जो कुछ दान राशि स्वतः प्राप्त हो जाता है, उसका अधिकांश भाग गरीब विद्यार्थियों को पढ़ाई हेतु प्रदान कर देते हैं। स्वामी राम शंकर डिजिटल दुनिया के साथ भी बहुत लगाव रखते हैं, स्वामी के पास उनके एक विदेशी भक्त ने वर्ष 2013 में एप्पल का मैकबुक प्रो लैपटाप दिया था।
स्वामी बताते है कि जब कभी मैं सफर के दौरान लैपटॉप का प्रयोग करता हूं, तब लोग हमारी तस्वीरें खींचा करते हैं। स्वामी अपने काम का वीडियो एडिटिंग भी कर लेते हैं फोटोग्राफी में बेहद शौक रखते हैं, पल-पल की गतिविधि को इंटरनेट पर उपडेट भी करते रहते हैं। यही वजह है कि स्वामी राम शंकर के प्रेमी प्यार से स्वामी को डिजिटल बाबा भी कहते हैं। स्वामी राम शंकर कहते हैं कि मेरा केवल इतना सपना है कि दुनिया भर के युवा वर्ग को संस्कार, जीवनमूल्य से जुडऩे के लिए प्रेरित करता रहूं, ताकि हमारे समाज का युवा आदर्श चरित्र व जीवनशैली ये युक्त हो सके।
 

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