मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार
केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव और अगले पांच साल में कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का यह पहला विस्तार होगा। विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया को शामिल किया जा सकता है। कांग्रेस से उनके मतभेद की वजह से पिछले साल भाजपा को मध्यप्रदेश की सत्ता वापसी में मदद मिली थी। इनके अलावा सर्बानंद सोनोवाल को भी मौका मिल सकता है। उन्होंने असम में भाजपा को जीत दिलाकर हेमंत बिस्वा सरमा को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की राह बनाई थी। सूत्रों का यह भी कहना है कि इस विस्तार में कई मौजूदा मंत्रियों को हटाया जा सकता है।
कांग्रेस में बगावत की बयार
क्या जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे भी कांग्रेस से बगावत करने की तैयारी में हैं। ऐसा इसलिए कि उनके एक बयान से सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। उन्होंने कहा कि पार्टी अपनी विचारधारा की संस्कृति लगातार खो रही है। उनकेे मुताबिक, पार्टी इस समय कहां है यह समझ पाना मुश्किल काम है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सुशील शिंदे भी पार्टी छोड़ने का मन बना रहे हैं। क्योंकि पार्टी में पिछले कुछ समय से जो तस्वीर बन रही है उससे तो यही लगता है कि सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी हाईकमान से कई शीर्ष नेता नाराज चल रहे हैं।
विद्यार्थियों को दोहरी मार
कोरोना महामारी का असर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों आईआईटी से इस वर्ष पासआउट हुए विद्यार्थियों के रोजगार अवसरों पर भी पड़ा है। इस साल 200 आईआईटीयन को हो ही विदेशों में रोजगार के मौके मिले हैं। जबकि पिछली बार अकेले बॉम्बे आईआईटी के ही 159 विद्यार्थी चुने गए थे। विदेशों में तो प्लेसमेंट कम हुआ ही है, देश की अग्रणी कंपनियों ने भी आईआईटी से निकले फ्रेश विद्यार्थियों के पैकेज को घटा दिया। इससे विद्यार्थियों को दोहरी मार झेलना पड़ रही है।
मुस्लिमों के आरक्षण पर घमासान
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के बाद अब मुस्लिम आरक्षण पर घमासान छिड़ गया है। इसकी वजह हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी सुहैल खंडवानी का वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य में मुस्लिमों को शिक्षा और नौकरी में पांच फीसदी आरक्षण नहीं चाहिए। अगर सरकार हकीकत में मुस्लिमों का हित चाहती है तो भारतीय संविधान के दायरे में रहकर मुस्लिमों को आरक्षण देने की व्यवस्था की जाए। हालांकि, इस बयान पर मुस्लिम समाज से जुड़े लोगों ने नाराजगी जाहिर की। कुछ मुस्लिम नेताओं ने इसे खंडवानी की निजी राय बताया। जानकारी के मुताबिक, खंडवानी ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर हो रही राजनीति पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जब 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता तो मुस्लिमों को पांच फीसदी अतिरिक्त आरक्षण का सपना दिखाना सही नहीं है।