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 पश्चिम बंगाल में तृणमूल  पार्षद  ने महिला को कोरोना वैक्सीन लगाया, भाजपा ने विरोध जताया  

 पश्चिम बंगाल में तृणमूल  पार्षद  ने महिला को कोरोना वैक्सीन लगाया, भाजपा ने विरोध जताया  

कोलकाता । पश्चिम बंगाल भाजपा ने राजधानी कोलकाता से लगभग 210 किलोमीटर दूर आसनसोल का एक वीडियो जारी किया है जिसमें एक वैक्सीनेशन कैंप में तृणमूल  पार्षद तबस्सुम आरा बिना किसी पूर्व अनुभव के वैक्सीन की डोज दे रहीं हैं। भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो और अग्निमित्र पॉल द्वारा शेयर किए गए वीडियो में तृणमूल पार्षद तबस्सुम आरा वैक्सीन शिविर में दिखाई दे रही हैं। यह शिविर कुल्टी में नागरिक निकाय द्वारा आयोजित किया गया था। वीडियो क्लिप में दिख रहा है कि कुर्सी पर बैठी एक महिला नर्स द्वारा उसे टीका लगाए जाने का इंतजार कर रही है। वीडियो में पार्षद उसको इंजेक्शन से डोज देती हुई दिखाई देती हैं।
इस मामले में आलोचनाओं से घिरीं तबस्सुम आरा ने दावा किया है कि उन्होंने स्कूल में एक नर्सिंग कोर्स किया है। उन्होंने इस बात से इनकार भी किया है कि उन्होंने वैक्सीन की डोज लगाई थी। वे एक वीडियो में कहती हुई सुनाई दे रही हैं कि "मैंने कोई टीका नहीं दिया। मैं केवल अपने हाथ में सिरिंज पकड़े हुए थी। बहुत सारे लोग हैं जो वैक्सीन लगवाने में हिचकिचाते हैं।"
उन्होंने कहा कि "यह दावा किया जा रहा है कि मैंने खुराक दी है, मैं सिर्फ सिरिंज पकड़कर जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रही थी।" 
अपने ट्वीट में बाबुल सुप्रियो ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टैग किया है। उन्होंने पूछा है कि "ऐसा लगता है कि टीएमसी सरकार का अपने प्रशासकों पर कोई नियंत्रण नहीं है। एएमसी के प्रशासनिक निकाय की सदस्य, टीएमसी की तबस्सुम आरा ने खुद लोगों को टीका लगाया है और सैकड़ों लोगों की जान जोखिम में डाली है। क्या उनका राजनीतिक रंग उन्हें कड़ी सजा से बचाएगा?"
आसनसोल की विधायक अग्निमित्र पॉल ने भी तृणमूल और पार्षद पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया "टीएमसी की लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ की कोई सीमा नहीं है.. एक गैर-चिकित्सा अधिकारी, टीएमसी की तबस्सुम आरा, जो एएमसी के प्रशासनिक बोर्ड की सदस्य हैं, ने डॉक्टरों और नर्सों के वहां मौजूद होने के बावजूद खुद लोगों को टीका लगाने का फैसला किया...वह ऐसा करने के लिए चिकित्सकीय रूप से अधिकृत भी हैं? ” 
इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र सरकार ने कोलकाता में फर्जी कोविड टीकाकरण शिविर पर बंगाल से एक रिपोर्ट मांगी थी। यह शिविर आयोजित करने वाला आईएएस अधिकारी होने का नाटक कर रहा था। इस शिविर में कथित तौर पर एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिए गए थे।
 

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