एक अध्ययन के मुताबिक गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से महिलाओं में मर्दों जैसे लक्षण आने लगते हैं। गर्भ निरोधक गोली में नौ विभिन्न प्रकार के हार्मोन होते हैं, जिनकी वजह से महिलाओं पर मर्दाना प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लेती हैं, उनका दिमाग एक पुरुष की तरह काम करता है और इस तरह की महिलाओं में व्यवहारिक परिवर्तन पाए गए। साथ ही महिलाओं के चेहरे में भी बदलाव देखे गए।
9 अप्रैल 1903 को न्यूजर्सी में एक ऐसे वैज्ञानिक का जन्म हुआ, जिसने महिलाओं की दुनिया ही बदल दी। वो थे ग्रेगोरी गुडविन पिंकस। बचपन से ही खोजी स्वभाव के पिंकस ने एक ऐसी कॉट्रासेप्टिव पिल बनाई, जिसकी मदद से महिलाएं गर्भवती होने से बच सकती हैं। ग्रेगोरी की उत्सुकता हार्मोनल चेंज और रिप्रोडक्शन प्रोसेस में होने वाले बदलाव में थी। रिप्रोडक्शन प्रक्रिया को क्या बीच में रोका जा सकता है, गर्भधारण को रोका जा सकता है आदि जैसे सवालों के जवाब ढूंढने के लिए ग्रेगोरी हर दिन शोध करते रहे। अपने अध्ययन के दौरान साल 1934 में उन्हें पहली बार इस क्षेत्र में बड़ी कामयाबी मिली, जब खरगोश में विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रोड्यूस करने में वो कामयाब हुए।
हमें अक्सर बताया जाता है कि गोली में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन होता है। लेकिन किसी भी गोली में इस तरह का कोई हार्मोन नहीं पाया जाता है। इसका कारण यह है कि मौखिक रूप से लिए जाने पर, एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन व्यावहारिक होने के लिए बहुत जल्दी टूट जाते हैं। इसकी जगह, गर्भनिरोधक गोलियों में कृत्रिम स्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन होते हैं, जो अधिक स्थिर हार्मोन से बने होते हैं और जो असली हार्मोन की तरह ही होते हैं। बाजार में संयुक्त गोली के प्रत्येक ब्रांड में सिंथेटिक एस्ट्रोजेन, एथिनिल एस्ट्रैडियोल और आठ सिंथेटिक प्रोजेस्टेरोनों में से एक होता है, जिसे प्रोजेस्टिन कहा जाता है।
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स्त्रियों में मर्दों जैसे लक्षण बढ़ाता है अधिक गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल : शोध