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 तीन दशक से चीन सीक्रेट ड्रोन पनडुब्बी बनाने के मिशन में लगा -दुश्मन को हमले की भनक तक नहीं लगेगी

 तीन दशक से चीन सीक्रेट ड्रोन पनडुब्बी बनाने के मिशन में लगा -दुश्मन को हमले की भनक तक नहीं लगेगी

बीजिंग । चीन दुनिया में सबसे शक्तिशाली होने का दम यूं ही नहीं भर रहा है क्योंकि वह अब अपने दुश्मन देशों की पनडुब्बियों और जहाजों पर सीक्रेट मानवरहित पनडुब्बियों से हमला कर सकता है। क्योंकि वह पिछले 30 सालों से सीक्रेट मानवरहित ड्रोन पनडुब्बियां बना रहा है। ऐसे हमलों के लिए अब उसे जवानों की जरूरत नहीं होगी। इस बात का खुलासा हाल ही में उस वक्त हुआ जब ताइवान की खाड़ी में मानवरहित अंडरवाटर व्हीकल का चीन ने परीक्षण किया। हालांकि, इस परीक्षण के बाद ताइवान को यह लगा था कि चीन उसके ऊपर हमले की तैयारी कर रहा है। 
चीन सीक्रेट मानवरहित ड्रोन पनडुब्बियां बना रहा है, यह जानकारी वह दुनिया को अब क्यों दे रहा है, इसकी कोई पुख्ता वजह सामने नहीं आ रही है। हो सकता है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले बवाल से बचने के लिए ऐसा कर रहा हो। क्योंकि हो सकता है कि ताइवान की खाड़ी में इस परीक्षण पर अमेरिका और जापान आवाज उठाएं। ये कहें कि चीन ने सैन्य घुसपैठ की कोशिश की है। चीन ताइवान को अपनी सीमा और अधिकार क्षेत्र में मानता है। हो सकता है कि वह जमीनी रास्ते से कब्जा करने की कोशिश भी करे। चीन की सबसे बड़ी सबमरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी हार्बीन इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लियांग गुओलोंग ने कहा कि सीक्रेट मानवरहित ड्रोन पनडुब्बियां प्रोग्राम को चीन की सेना से फंडिंग मिल रही है। फिलहाल चीन की ये ड्रोन सबमरीन अभी अकेले ही काम कर रही हैं, लेकिन तकनीक को अत्याधुनिक बनाकर इन्हें समूहों में संचालित किया जा सकता है।  
प्रोफेसर लियांग ने कहा कि ऐसी सीक्रेट मानवरहित ड्रोन पनडुब्बियों को समुद्र के अंदर तलहटी में चुपचाप छोड़ा जा सकता है। जब जरूरत हो तब इन्हें हमला करने के लिए सक्रिय किया जा सकता है। यानी दुश्मन के जहाज और पनडुब्बियों को यह पता नहीं चलेगा कि उसके नीचे एक शांत और बंद पड़ी हमलावर रोबोटिक पनडुब्बी है, जो उस पर कभी हमला भी कर सकती है। प्रो. लियांग गुओलोंग ने कहा कि भविष्य में समुद्र के अंदर होने वाली लड़ाई में ड्रोन सबमरीन और यूवीवी का बहुत ज्यादा उपयोग होगा। इसमें जवानों की जान का खतरा नहीं रहेगा। पनडुब्बी या यूवीवी चुपचाप हमला करेगी और वापस छिप जाएगी। इंसानों के नहीं रहने से इसका आकार छोटा होगा। इसे देश तट पर या उससे थोड़ी दूर स्थित रिमोट सेंटर से कंट्रोल किया जा सकेगा। 
 

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