न्यूयॉर्क । दुनिया की मशहूर वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर ने एफडीए से उसकी कोविड वैक्सीन की बूस्टर खुराक की अनुमति देने को कहा है। कंपनी का कहना है कि ऐसा शरीर के अंदर मौजूद इम्यूनिटी के छह माह बाद कमजोर या खत्म होने का खतरा है। फाइजर इंक (पीएफईएन) के शीर्ष वैज्ञानिक का कहना है कि छह माह के बाद दोबारा संक्रमित होने के बढ़ते खतरे और डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ये किया गया है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि जो लोग पूरी तरह से वैक्सीनेट हो चुके हैं उन्हें फिलहाल बूस्टर डोज की इस वक्त कोई जरूरत नहीं है। कुछ अन्य वैज्ञानिकों ने भी बूस्टर खुराक पर सवाल उठाए हैं।
एफडीए और सीडीसी के साझा बयान में ये भी कहा गया है कि यदि विज्ञान इस बात को समझाने और बताने के लिए तैयार हो कि इस बूस्टर डोज की हमें जरूरत है तो हम बूस्टर डोज के लिए तैयार हैं। फाइजर का अपना आंकड़ा कहते हैं कि छह माह के बाद वैक्सीन की प्रभावशीलता वायरस के खिलाफ 80 फीसद ही रह जाती है। फाइजर कंपनी के चीफ सांइटिस्ट मिकेल डोल्स्टन का कहना है कि हाल ही में सामने आई रिपोर्ट बताती है कि इजरायल में वैक्सीन की कारगरता उन लोगों पर कम साबित हुई है जिन्होंने जनवरी और फरवरी में वैक्सीन की खुराक ली थी। ऐसे ज्यादातर लोग संक्रमण के शिकार हुए थे। इजरायल के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि जून में वैक्सीन इंफेक्शन और हल्के लक्षण वालों पर कम कारगर साबित हुई है। इस दौरान इसकी कारगरता 64 फीसद पाई गई है।
एक इंटरव्यू के दौरान डोल्स्टन ने कहा कि कंपनी की विकसित की गई वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट पर भी प्रभावी है। लेकिन छह महीने के बाद, उन्होंने कहा, "जैसा कि अनुमान लगाया गया था, एंटीबॉडी के रूप में पुन: संक्रमण का जोखिम होने की संभावना है। हालांकि फाइजर ने इजरायल से मिला कोई आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया है। कंपनी का कहना है कि ये जल्द ही पब्लिश किया जाएगा। डोल्स्टन का कहना है कि ये काफी डाटा है, लेकिन उनका मानना है कि इसका ट्रेंड पूरी तरह से सही है। छह माह के बाद डेल्टा वैरिएंट अधिक तेजी से फैल सकता है और गंभीर रूप ले सकता है। इसकी वजह से संक्रमण बढ़ सकता है और हल्के लक्षण के बढ़ने का भी खतरा है। डोल्स्टन का कहना है कि उन्होंने जोर देकर कहा कि इज़राइल और ब्रिटेन के डेटा से पता चलता है कि एंटीबॉडी के स्तर में गिरावट के बावजूद, गंभीर बीमारी के खिलाफ टीका लगभग 95 फीसद तक प्रभावी रहता है। उन्होंने ये भी कहा कि वैक्सीन की तीसरी डोज सुरक्षा का वादा करती है।
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फाइजर ने मांगी बूस्टर डोज की अनुमति तो एफडीए और सीडीसी बोला, फिलहाल इसकी जरुरत नहीं