लाहौर । फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की "ग्रे लिस्ट में बने रहने के बाद भी पाकिस्तान अपने क्षेत्र में रहने वाले आतंकी समूहों के बारे में कम चिंतित दिखाई देता है। जिन आतंकवादी समूहों के नेताओं और कमांडरों के खिलाफ पाकिस्तान को कार्रवाई करना चाहिए है, उसमें अफगान तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, अल कायदा और इस्लामिक स्टेट शामिल हैं। पाकिस्तान हमेशा से उन आतंकवादी समूहों को पनाह देता रहा हैं, जिन पर एफएटीएफ एक्शन चाहता है। ये वहीं आतंकी संगठन हैं, जो अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद वहां अशांति फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं।
पिछले महीने, एफएटीएफ ने बैठक के अंत में कहा था कि एफएटीएफ पाकिस्तान को प्रोत्साहित करता है कि वह जितनी जल्दी हो सके सीएफटी (आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण) से संबंधित आइटम को संबोधित करने के लिए काम जारी रखे। हालांकि,अक्टूबर में होने वाली फोर्स प्लेनरी मीटिंग तक पाकिस्तान के लिए अगले तीन महीनों में ये काम पूरा करना मुश्किल है। रिपोर्ट के अनुसार, वास्तव में, पाकिस्तान आतंकवादी समूहों के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की इच्छा ही नहीं दिखा रहा है।
बता दें कि हाल में एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा था कि "पाकिस्तान को जो सुझाव दिए गए थे उनमें उसने काफी प्रगति कर 27 में से 26 शर्तों को पूरा किया है। लेकिन अभी आतंकवादियों को ज़िम्मेदार ठहराने और उन्हें सजा देने की दिशा में काम करना बाकी हैं।
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एफएटीएफ की "ग्रे लिस्ट में रहने के बाद भी आंतकियों के खिलाफ एक्शन नहीं ले रहा पाकिस्तान