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आईसीआईसीआई ने अपने खाताधारकों के वर्चुअल करेंसी खरीदने पर रोक लगा दी

आईसीआईसीआई ने अपने खाताधारकों के वर्चुअल करेंसी खरीदने पर रोक लगा दी

मुंबई । भारत क्रिप्‍टोकरेंसी के बिजनेस पर भारतीय रिजर्व बैंक के सख्‍त रुख को देखकर भारतीय बैंक भी इससे जुड़े लेन-देन पर लगाम लगा रहे हैं। इस दिशा में बड़ा कदम उठाकर भारत में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई ने अपने खाताधारकों को विदेशी बाजारों से वर्चुअल करेंसी खरीदने पर रोक लगा दी है। आईसीआईसीआई बैंक ने अपने ग्राहकों से कहा है कि जब भी वे विदेश में पैसा भेजते हैं,तब उन्हें यह बताना होगा कि वे इसका निवेश क्रिप्टो में नहीं करने वाले है। इसके लिए बैंक ने अपने 'रिटेल आउटवर्ड्स रेमिटेंस एप्लीकेशन फॉर्म' में बदलाव किया है। इसके मुताबिक, ग्राहकों को आउटवर्ड्स रेमिटेंस आवेदन पत्र देना होगा। इस ग्राहकों को आरबीआई लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत विदेशों में स्टॉक और संपत्तियों को खरीदने के लिए पैसा ट्रांसफर के लिए हस्ताक्षर करना होगा। एलआरएस डिक्लरेशन क्रिप्टोटोकरेंसी में डायरेक्ट निवेश तक ही सीमित नहीं है।
ग्राहकों को इससे भी सहमत होना होगा कि एलआरएस रेमिटेंस को बिटकॉइन में काम करने वाली कंपनी के म्यूचुअल फंड या शेयर या किसी अन्य संसाधनों की इकाइयों में निवेश नहीं होगा। क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए ज्यादातर बैंकिंग सेवाएं बंद करने के बाद आईसीआईसीआई बैंक ने अब अपने ग्राहकों से कहा है कि वे क्रिप्टो से जुड़े निवेश के लिए रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) का इस्तेमाल न करें। एलआरएस का लाभ उठाने के लिए आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहकों को इन सभी शर्तों से सहमत होना होगा। एलआरएस क्रिप्टो निवेश के लिए एक प्रमुख साधन रहा है। आईसीआईसीआई बैंक की घोषणा के बाद अन्य प्रमुख भारतीय बैंक भी क्रिप्टो निवेश के लिए एलआरएस दरवाजे बंद कर देने वाले है। यह भारतीय क्रिप्टो बाजार के ट्रांजेक्शन को प्रभावित करेगा।
एलआरएस को 4 फरवरी, 2004 को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के कानूनी ढांचे के तहत पेश किया गया था। लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत, अधिकृत डीलर किसी भी अकाउंट या लेनदेन या दोनों के लिए एक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) तक रेजिडेंट द्वारा स्वतंत्र रूप से रेमिटेंस की अनुमति दे सकते हैं। यह योजना कॉर्पोरेट, पार्टनरशिप फर्मों, ट्रस्ट आदि के लिए उपलब्ध नहीं है। क्रिप्‍टो करेंसी से जुड़े लेनदेन पर बैंक के इस सतर्कता भरे कदम की वजह भारतीय रिजर्व बैंक की क्रिप्टो करेंसी के कारण देश में वित्तीय स्थिरता को खतरा पैदा होने की चिंता है।इसकारण आरबीआई शुरू से ही भारत में क्रिप्टो करेंसी के चलन के खिलाफ ही खड़ा रहा है।
 

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