जालंधर । पंजाब में अंतरकलह से जूझ रही कांग्रेस के लिए आने वाला हफ्ता काफी अहम माना जा रहा है। राज्य में कांग्रेस का संकट अब सुलझता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सहित सभी कांग्रेसी नेताओं से बैठकें कर चुके हैं। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व ने यद्यपि अपनी ओर से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को घोषित किए जाने वाले फार्मूले के बारे में जानकारी दे दी है परंतु कैप्टन अमरेन्द्र ने भी अभी संभावित फार्मूले के बारे में अपने करीबियों को कोई आभास नहीं होने दिया है। केवल अफवाहें व कयास ही लगाए जा रहे हैं। किस मंत्री की छुट्टी होगी, कौन-सा नया मंत्री बनेगा या पंजाब कांग्रेस स्तर पर क्या फेरबदल होंगे, इसके बारे में या तो सोनिया गांधी को मालूम है या फिर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को।
मुख्यमंत्री के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि कैप्टन तो कैबिनेट में संभावित फेरबदल को लेकर अपना होमवर्क पूरा कर चुके हैं। अभी वह कुछ भी खुलासा नहीं कर रहे। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पंजाब मामले के हल का पूरा श्रेय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को देना चाहते हैं। अतीत में भी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की यही नीति रही कि उन्होंने संकट के निवारण का श्रेय हमेशा सोनिया को दिया है जिनसे उनके रिश्ते काफी अच्छे माने जाते हैं। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी द्वारा अपनी ओर से संकट का हल करने के लिए अंतिम फैसला अगले सप्ताह किसी भी समय सुनाया जा सकता है। न केवल पंजाब कांग्रेस से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले घोषित किए जाएंगे बल्कि सरकार में महत्वपूर्ण फेरबदल भी प्रतीक्षित हैं।
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह भी अपना कठोर स्टैंड सामने लाने जा रहे हैं। पिछले 4 वर्षों का उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा। जिन मंत्रियों पर वह बहुत अधिक भरोसा करते रहे उन्होंने उनका साथ नहीं दिया। इसीलिए अब कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने सभी कांग्रेसी नेताओं से मिलना-जुलना शुरू कर दिया है ताकि ऐसा संकेत न जाए कि वह केवल 4-5 मंत्रियों को ही अधिमान देते हैं। कैप्टन ने अपनी नई रणनीति के तहत सभी कांग्रेसी सांसदों को भी अपने समीप लाने में सफलता हासिल की। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के विधायक भी अब यह मान कर चल रहे हैं कि अंतत: कैप्टन के कड़े स्टैंड का फायदा पार्टी को आगामी चुनावों में मिल सकता है। सरकार में तो अनुशासन की बहाली होगी ही साथ ही कांग्रेस संगठन में भी अनुशासन लागू हो जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी अब यह मान कर चल रहे हैं कि केंद्रीय फैसला आने के बाद अनुशासनहीनता को अब केंद्रीय नेतृत्व सहन करने वाला नहीं है। पंजाब में जो कुछ होना था, हो चुका है। अब कांग्रेस नेतृत्व विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर हो गया है क्योंकि पंजाब में उसकी साख भी दाव पर रहनी है।
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पंजाब में कांग्रेस संकट का समाधान इस सप्ताह, हो सकते हैं कई परिवर्तन