YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आरोग्य

स्मार्टफोन बढ़ाता है कैंसर  का खतरा  -46 तरह की रिसर्च के विश्लेषण के बाद किया गया यह दावा 

स्मार्टफोन बढ़ाता है कैंसर  का खतरा  -46 तरह की रिसर्च के विश्लेषण के बाद किया गया यह दावा 

कैलिफोर्निया । स्मार्टफोन कैंसर  का खतरा बढ़ाता है। अगर 10 साल तक हर रोज 17 मिनट तक मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो कैंसर की गांठ बनने का खतरा 60 फीसदी तक बढ़ जाता है। यह दावा ‎किया है अमेरिकी वैज्ञानिकों ने। वैज्ञा‎निकों ने यह दावा मोबाइल फोन और इंसान की सेहत से जुड़़ी 46 तरह की रिसर्च के विश्लेषण के बाद किया गया है। रिसर्च करने वाली कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है, मोबाइल सिग्नल से निकलने वाला रेडिएशन शरीर में स्ट्रेस प्रोटीन को बढ़ाता है जो डीएनए को डैमेज करता है। हालांकि, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन इस बात से इंकार करता है कि मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी से सेहत को खतरा है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अमेरिका, स्वीडन, ब्रिटेन, जापान, साउथ कोरिया और न्यूजीलैंड में हुईं रिसर्च के आधार पर यह दावा किया है। रिसर्च कहती है, दुनियाभर में मोबाइल फोन यूजर्स बढ़ रहे हैं। 2011 तक 87 फीसदी घरों में एक मोबाइल फोन था। 2020 में यह आंकड़ा 95 फीसदी हो गया। 
शोधकर्ता जोएल मॉस्कोविट्ज कहते हैं, लोगों को मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करना चाहिए। इसे अपने शरीर से दूर रखना चाहिए और जितना हो सके लैंडलाइन का इस्तेमाल करें। फोन के अधिक इस्तेमाल और कैंसर का कनेक्शन विवादित है, यह एक सेंसेटिव पॉलिटिकल टॉपिक है।मॉस्कोविट्ज कहते हैं, वायरलेस डिवाइस रेडिएशन एनर्जी को अधिक एक्टिव बनाती है। ऐसा होने पर कोशिकाओं के काम करने के रास्ते में बाधा पैदा होती है। नतीजा, शरीर में स्ट्रेस प्रोटीन और फ्री-रेडिकल्स बनते हैं। इससे डीएनए भी डैमेज हो सकता है। मौत भी हो सकती है। 2018 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंस की रिसर्च में सबूत मिले थे, जो बताते हैं कि मोबाइल फोन के रेडिएशन से कैंसर हो सकता है। हालांकि इसे एफडीए ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसे इंसानों पर नहीं अप्लाय किया जा सकता। शोधकर्ताओं की टीम ने एक रिसर्च साउथ कोरिया नेशनल कैंसर सेंटर और सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के साथ भी मिलकर की है। रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन का सेहत पर क्या असर होता है, इस पर अधिक रिसर्च नहीं हो पाई है क्योंकि अमेरिकी सरकार ने 1990 में ही रिसर्च के लिए दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी थी। 
 

Related Posts