मुंबई। महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी के नेता भले ही गठबंधन को लेकर ऑल इज वेल की दुहाई देते रहते हों लेकिन महाराष्ट्र सरकार के अंदर कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने एक बार फिर महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना के बीच के विवाद को और बढ़ा दिया है। यही कारण है कि शिवसेना ने अब सामाना के जरिए कांग्रेस और नाना पटोले पर हमला बोला है। शिवसेना ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि कांग्रेस कई राज्यों में मरणासन्न है। नाना को राहुल और प्रियंका से संजीवनी मिली है इसीलिए कुछ भी बोल रहे हैं। दिल्ली के लोग शायद संजीवनी मंत्र सुनने के लिए ही जासूसी करवा रहे होंगे। नाना छोटे आदमी है, कभी-कभी छोटे आदमी भी कुछ बोलकर राजनीतिक हलचल पैदा कर देते हैं।
शिवसेना ने सामना के संपादकीय में लिखा, नाना पटोले खुले स्वभाव के हैं। जिस तरह भाजपा में रावसाहेब दानवे उसी तरह कांग्रेस पार्टी में नाना। जबसे नाना कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, तबसे अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। नाना अपने मन की बात व्यक्त करते हैं। वर्तमान में अति जागरूक मीडिया उनके मन की बात की खबर बनाकर मुक्त हो जाती है, लेकिन लोगों को लगता है कि अब महाराष्ट्र की राजनीति में भूकंप आ जाएगा। तीनों पार्टियों में विवाद, मतभेद और सरकार गिर जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है और नाना अपने अगले काम में अर्थात बोलने लगते हैं। अब फिर से नाना के नए ताजे बयान से कहा जा रहा है कि चाय के प्याली में उबाल आ गया है। लोनावला में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में नाना ने ताव मारा कि मुझ पर निगरानी रखी जा रही है। मुझे सुख से जीने नहीं दिया जाएगा। नाना ने यह भी कहा कि कांग्रेस के स्वबल का नारा कायम है। नाना के इस बयान से कांग्रेस को बल मिला होगा तो अच्छा है। नाना ने स्वबल का नारा इससे पहले भी दिया था और उसमें कुछ गलत हुआ, ऐसा नहीं लगता। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने अपनी शैली में स्वबल पर उत्तर तो दिया ही है। हम एक साथ सरकार चलाते हैं, पार्टी नहीं। पवार ने सार्वजनिक तौर पर कहा, यह उचित है।
नाना क्या-क्या बोलते हैं और क्या करते हैं, इस पर महाराष्ट्र सरकार का भविष्य बिल्कुल भी निर्भर नहीं है। उद्धव ठाकरे, शरद पवार और सोनिया गांधी की मर्जी से यह सरकार चल रही है। नाना पर नजर रखी जा रही है, ऐसा उन्हें लगता है। बीते दिनों विधानमंडल सत्र में नाना ने निगरानी रखने का मुद्दा जोर-शोर से रखा। फडणवीस सरकार के कार्यकाल में कइयों पर निगरानी रखी गई। महत्वपूर्ण नेताओं के फोन टेप किए गए। उसमें नाना भी थे। अब इस मामले की जांच चल रही है। सरकार किसी का फोन टेप कर रही है, तो समझा जाता है कि वह व्यक्ति देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है या उससे सरकार को खतरा है। नाना के कारण सरकार गिर जाएगी या नई सरकार आएगी, ऐसा पुलिस विभाग के फडणवीस के अंधभक्तों को तब लगता होगा। उसी कारण नाना का फोन चोरी से सुना गया। नाना पहले भाजपा में थे। मोदी को चार बातें सुनाकर उन्होंने पार्टी का त्याग किया और कांग्रेस की कमान कंधों पर ले ली। महाराष्ट्र कांग्रेस को संजीवनी देना और राज्य में स्वबल पर सत्ता में लाने का बीड़ा उन्होंने उठाया। इसलिए उनकी हिम्मत को दाद देनी ही पड़ेगी।
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सामना के जरिए नाना और कांग्रेस पर तंज, शिवसेना ने कहा- कांग्रेस कई राज्यों में मरणासन्न -नाना छोटे आदमी है, कभी-कभी छोटे आदमी भी कुछ बोलकर राजनीतिक हलचल पैदा कर देते हैं