कोलकाता । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पश्चिम बंगाल सरकार पर विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में 'उदासीनता' का आरोप लगाया है। आयोग ने हत्या और रेप जैसे गंभीर मामलों की सीबीआई से जांच कराने की भी सिफारिश की है। एनएचआरसी ने कहा है कि केसों की सुनवाई राज्य के बाहर होनी चाहिए।
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर गठित की गई एनएचआरसी कमेटी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की स्थिति 'कानून के राज' के बजाय शासक के कानून की तरह थी और स्थानीय पुलिस इस हिंसा में यदि शामिल नहीं थी तो वह जानबूझकर इसकी अनदेखी कर रही थी।
सत्तारूढ़ दल के समर्थकों की ओर से मुख्य विपक्षी पार्टी के समर्थकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक हिंसा के दावों का समर्थन करते हुए हाईकोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में कह था कि हिंसा के कारण हजारों लोगों की जिंदगी और आजीविका में बाधा उत्पन्न हुई और उनका आर्थिक नुकसान हुआ। हाईकोर्ट ने कहा था कि कई लोगों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। कई लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा, यहां तक कि दूसरे राज्य जाना पड़ा। हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट के अवलोकन से प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता द्वारा लिया गया स्टैंड साबित होता है कि चुनाव के बाद हिंसा हुई है।
इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘‘अदालत का अपमान'' करने और बीजेपी का ‘‘राजनीतिक बदला लेने'' के लिए राज्य में चुनाव के बाद कथित हिंसा संबंधी अपनी रिपोर्ट मीडिया में लीक करने को लेकर एनएचआरसी की निंदा की। ममता ने राज्य सरकार के विचार जाने बिना एनएचआरसी के निष्कर्ष पर पहुंचने को लेकर हैरानी जताई। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भाजपा अब हमारे राज्य की छवि खराब करने और राजनीतिक बदला लेने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का सहारा ले रही है। एनएचआरसी को अदालत का सम्मान करना चाहिए था। मीडिया में रिपोर्ट के निष्कर्ष लीक करने के बजाय, उसे पहले इसे अदालत में दाखिल करना चाहिए था।'' उन्होंने कहा, ‘‘आप इसे भाजपा के राजनीतिक बदले के अलावा और क्या कहेंगे? वह (विधानसभा चुनाव में) अब भी हार पचा नहीं पाई है और इसीलिए पार्टी इस तरह के हथकंडे अपना रही है।''
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बंगाल सरकार पर चुनाव बाद हिंसा पर 'उदासीनता' का आरोप लगा, एनएचआरसी ने सीबीआई जांच का कहा