ब्रेन स्कैन के जरिये यह पता चल सकता है कि किसी व्यक्ति को खुदकुशी के ख्याल आ रहे हैं या नहीं। यह दावा किया गया है अध्ययनकर्ताओं ने। अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (पीटीएसडी) से पीड़ित व्यक्ति के मन में खुदकुशी के आ रहे विचार से जुड़ा एक रसायन पाया गया है। आम लोगों की तुलना में पीटीएसडी से पीड़ित व्यक्ति में खुदकुशी का खतरा अधिक रहता है, लेकिन बेहद खतरे वाले व्यक्ति की पहचान मुश्किल है। येल की असोसिएट प्रफेसर इरिना ईस्टरलिस ने कहा, 'अगर आपके पास ऐसे लोग हैं जो उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, तो आप तुरंत रक्तचाप कम करना चाहते हैं। लेकिन पीटीएसडी में हमारे पास वह विकल्प नहीं है।' उन्होंने कहा कि एमजीएलयूआर-5 के स्तर की जांच से उन लोगों की पहचान में मदद मिल सकती है जिनमें खुदकुशी का खतरा सबसे अधिक है और उन्हें तुरंत चिकित्सीय मदद दी जा सकती है। इरिना ने साथ ही कहा कि एमजीएलयूआर-5 के स्तर को संतुलित रखकर खुदकुशी के खतरे को कम किया जा सकता है। अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया शोध प्रोसिडिंग्स ऑफ द नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज में पब्लिश हुआ है। उन्होंने एमजीएलयूआर-5 का स्तर जांचने के लिए पीईटी तस्वीरों का इस्तेमाल किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि पीटीएसडी से पीड़ित लोगों में एमजीएलयूआर-5 का स्तर बेहद अधिक है जिससे कोई व्यक्ति एंजायटी और मूड डिसॉर्डर से पीड़ित हो जाता है। पीटीएसडी से पीड़ित लोगों के लिए दो तरह का अप्रूव्ड इलाज है, लेकिन यह जांचने में कि ये प्रभावी हैं या नहीं इसमें कई सप्ताह और महीनों लग सकते हैं।
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वैज्ञानिकों ने पाया खुदकुशी से जुडा रसायन -पता कर सकते है किसी व्यक्ति को खुदकुशी के ख्याल आ रहे हैं या नहीं