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 लाल किला हिंसा- वकीलों के पैनल को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी भिड़े

 लाल किला हिंसा- वकीलों के पैनल को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी भिड़े

नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लाल किला हिंसा मामले में न्यायालय में किसानों की पैरवी करने के मामले को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच तनातनी हो गई है। दिल्ली सरकार ने वकीलों का एक पैनल बनाकर मंजूरी के लिए लिस्ट एलजी के पास भेजी जिसे एलजी ने खारिज करते हुए अपनी तरफ से नई लिस्ट दिल्ली सरकार को भेज दी। अब दिल्ली सरकार ने एलजी की सूची खारिज कर दी।
एलजी ने दिल्ली सरकार की सिफारिश पर विचार किया था। उन्होंने दिल्ली पुलिस के वकीलों की लिस्ट अरविंद केजरीवाल सरकार के पास भेजी थी। इस पर विचार के लिए आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की बैठक हुई। 
बैठक में एलजी के सुझावों को दरकिनार कर दिया गया। केजरीवाल कैबिनेट ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील ही किसान आंदोलन से जुड़े मामलों में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर होंगे। अब कैबिनेट के फैसले को मंजूरी के लिए दोबारा एलजी के पास भेजा जाएगा। एलजी और दिल्ली सरकार के बीच नई खींचतान ने फिर से संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा कर दी है। एलजी चाहते थे कि केजरीवाल सरकार दिल्ली पुलिस के सुझाए वकीलों के पैनल को मंजूरी दे। वहीं, दिल्ली सरकार की तमन्ना है कि सरकारी वकीलों का पैनल ही किसानों से जुड़े मामलों को देखे। लेकिन जब एलजी ने उसकी सिफारिश नहीं मानी तो दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
आप सरकार ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार किसान आंदोलन के दौरान लाल किले में हुई हिंसा के मामले में पेश होने वाले वकीलों को बदलने का दबाव बना रही है। उसने गुरुवार को ही कहा था कि एलजी की सिफारिश पर शुक्रवार को मंत्रिमंडल की मीटिंग में फैसला लिया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने बयान जारी कर बताया था कि एलजी ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ मामलों में पेश होने वाले दिल्ली सरकार के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया है। ध्यान रहे कि इस वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। इसी दौरान किसानों का जत्था लाल किला पहुंच गया और वहां तैनात पुलिस वालों और कर्मचारियों के साथ मारपीट और भारी उपद्रह किया। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में हिंसा, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान और कानून के उल्लंघन का मामला दर्ज किया था। इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तारी भी हो चुकी है। मामले की सुनवाई के लिए ही विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति पर दिल्ली सरकार और एलजी आमने-सामने आ गए हैं।
 

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