भारत में बीयर फैक्टरी लगाने में काफी परेशानी होती है। इसका लाइसेंस काफी महंगा होता है। मंजूरियों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के अलावा अधिकारियों से भी डील करनी पड़ती है। इसलिए भारतीय बीयर कंपनियां भूटान में फैक्टरी लगाना ज्यादा पसंद कर रही हैं। वह इसलिए कि भूटान में सारी प्रक्रिया चंद घंटों में ही पूरी हो जाती है। अगर यूरोप और ब्रिटेन से तुलना करें तो वहां से शिपमेंट्स में दो महीने लग जाते हैं। भूटान में कारोबार शुरू करने का मतलब है कि यह समय भी बचेगा। भूटान के किंजोर ब्रुअरी के साथ बेहतर तालमेल से दहिया का हौसला काफी बढ़ गया है। उन्हें भरोसा है कि वह जून तक पोर्टफोलियो में एक और वेरिएंट जोड़ने के साथ अगस्त तक हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्व में डिस्ट्रीब्यूशन का विस्तार कर लेंगे। भूटानी बीयर का टेस्ट भी बेहतर होता है। बॉटल्ड क्राफ्ट बीयर ब्रांड कटी पतंग ने 7 महीने पहले दिल्ली में अपना कारोबार शुरू किया था, वह हंगसो में सेर भूम ब्रुअरी में एंबर एल बना रही है। इसकी अगले दो महीनों में भूटान के बाद मुंबई और बेंगलुरु में डिस्ट्रीब्यूशन का विस्तार करने की योजना है। कंपनियों को वहां के प्राकृतिक झरने के पानी से अपने ब्रांड को दूसरों से अलग बनाने में मदद मिलती है। इससे उनके प्रॉडक्ट को अच्छी कीमत भी मिलती है।