जालंधर । अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरायि होने के बावजूद इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 14 जुलाई को 76.72 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे लेकिन दुबई और सऊदी अरब के मध्य हुए समझौते और कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बाद कच्चा तेल में 11 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है लेकिन तेल कंपनियों ने कच्चे तेल की कीमत कम होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का सिलसिला जारी रखा हुआ है। दिल्ली में 14 जुलाई को पेट्रोल के दाम 101.19 रुपए प्रति लीटर थे जो 21 जुलाई को बढ़कर 101.84 रुपए प्रति लीटर हो गए हैं और पेट्रोल की कीमतों में 65 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई है जबकि डीजल की कीमतों में 14 जुलाई के 89.72 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 89.87 रुपए प्रति लीटर हो चुकी हैं। जानकारी के मुताबिक ओपेक देशों में प्रभाव रखने वाले सऊदी अरब और दुबई के मध्य समझौते के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव आएगा और इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की महंगाई पर लगाम लगेगी। इस समझौते के बाद ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 77.16 डॉलर प्रति बैरल के अपने उच्तम स्तर से 11 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुकी हैं और न्यूयार्क कमोडिटी एक्सचेंज यानी कॉमेक्स पर कच्चा तेल 68 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है और पेट्रोल डीजल की कीमतें देश में स्थिर बनी हुई हैं लेकिन अभी इनमे गिरावट की गुंजाइश है।
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कच्चे तेल में 11 फीसदी गिरावट - सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं घटाई