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कश्मीर पर इस्लामिक देशों के संगठन ने बदला पैंतरा, बनाया विशेष दूत

कश्मीर पर इस्लामिक देशों के संगठन ने बदला पैंतरा, बनाया विशेष दूत

 कश्मीर को लेकर इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (ओआईसी) ने अपना पैतरा बदलते हुए रंग दिखा दिखा दिया है। उन्होंने कश्मीर के मामले में एक विशेष दूत की नियुक्ति कर दी है। अब कहा जा रहा है कि सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव और ईरान के खिलाफ खाड़ी के अहम देशों की पाकिस्तानी सेना पर निर्भरता ने हो सकता है कि इस निर्णय में अहम भूमिका निभाई हो। ओआईसी का शिखर सम्मेलन इस पिछले सप्ताहांत पर मक्का में हुआ था। उसमें सऊदी अरब के यूसुफ अलदोबी को जम्मू एवं कश्मीर के बारे में ओआईसी का विशेष दूत नियुक्त करने की मंजूरी दी गई।
इस घटनाक्रम से तीन महीने पहले ही ओआईसी के विदेश मंत्रियों के संयुक्त अरब अमीरात में हुए सम्मेलन में भारत को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। उस समय पाकिस्तान ने हर सेशन में भारत की छवि खराब करने की कोशिश की थी, लेकिन वह अंतिम संयुक्त घोषणा पत्र में कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं करा पाया था क्योंकि सऊदी अरब के अलावा मेजबान यूएई ने उसके कदम का विरोध किया था। पता चला है कि कश्मीर मुद्दे पर विशेष दूत नियुक्त करने का निर्णय इस 57 सदस्यीय संगठन के भीतर कश्मीर मामले पर बनाए गए ओआईसी कॉन्टैक्ट ग्रुप का निर्णय था। कई ओआईसी सदस्यों ने इस निर्णय के बारे में तटस्थ रुख अपनाया था। ओआईसी के अहम सदस्यों ने पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर पर खुलकर कुछ कहने से परहेज किया है। हालांकि ईरान से तनाव के बीच खाड़ी के देशों के सपोर्ट में पाकिस्तान आर्मी की भूमिका ने हो सकता है कि इस निर्णय में रोल अदा किया हो और इसके चलते ऐसा पद बनाने के पाकिस्तान के अनुरोध के पक्ष में निर्णय कर लिया गया हो।
मार्च में भारत को पहली बार ओआईसी की किसी मीटिंग में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। ओआईसी के सदस्य पाकिस्तान ने कोशिश की थी कि अबू धाबी में हुई उस मीटिंग में भारत के विदेश मंत्री के आने का न्योता खारिज करा दिया जाए। पाकिस्तान तब अपने यहां एक टेरर कैंप पर भारतीय वायु सेना के हमले से भन्नाया हुआ था। हालांकि उसका अनुरोध खारिज कर दिया गया था। यूएई ने भारत का पक्ष लिया था। विदेश मंत्री के बजाय पाकिस्तानी अधिकारियों की अगुवाई में उसके प्रतिनिधिमंडल ने भारत को अबू धाबी वाली बैठक में नहीं बुलाए जाने पर जोर लगाया था और हर सत्र में भारत के खिलाफ बयानबाजी की थी। हालांकि उसकी कोशिशें नाकाम रहीं। मार्च में हुई ओआईसी की मीटिंग ने कश्मीर मुद्दे पर एक अलग प्रस्ताव पास किया था और इसे भारत और पाकिस्तान के बीच 'मुख्य' विवाद करार दिया था। उसमें बालाकोट एयर स्ट्राइक पर भी प्रस्ताव पास किया गया था। हालांकि अबू धाबी में जारी अंतिम घोषणा पत्र में कश्मीर मसले का जिक्र नहीं किया गया था। 

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