भारत की शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनियों में शुमार इन्फोसिस ने चीन की हुआवे के साथ अपने अनुबंध की समीक्षा आरंभ कर दी है, जिससे वह हुआवे पर अमेरिका की बंदिशों के असर से बच सके। विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य भारतीय इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी कंपनियां भी ऐसा ही कदम उठा सकती हैं। अमेरिकी सरकार ने पिछले महीने हुआवे पर प्रतिबंध लगाए थे और उसे अपनी 'एंटिटी लिस्ट' में रखा था जिससे हुआवे अब अमेरिका में कंपनियों से हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सर्विसेज की खरीद और बिक्री नहीं कर सकेगी। हुआवे को अमेरिकी इक्विपमेंट खरीदना जारी रखने के लिए तीन महीने की राहत दी गई है। इन्फोसिस का हुआवे के साथ बड़ा बिजनेस है। विप्रो और कॉग्निजेंट के भी हुआवे के साथ अनुबंध हैं। हुआवे के साथ एक स्ट्रैटेजिक एग्रीमेंट करने वाली इन्फोसिस ने अमेरिकी बंदिशों में फंसने से बचने के लिए विशेषज्ञों की सलाह ली है। एक सूत्र ने बताया, 'कंपनी ने कंसल्टेंट्स की सर्विसेज ली हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि इन्फोसिस को तुरंत काम बंद करना होगा लेकिन यह जानना जरूरी है कि कहां लाइसेंस की जरूरत हो सकती है।' हुआवे के साथ अनुबंध के बारे में इन्फोसिस, विप्रो और कॉग्निजेंट ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। अमेरिका के सिक्यॉरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने अमेरिका में लिस्टेड कंपनियों के हुआवे के साथ बिजनेस को रेग्युलेट करने की संभावना पर कुछ कहने से इनकार किया।
पिछले वर्ष एसईसी ने हुआवे के साथ इन्फोसिस के अनुबंध की जानकारी ली थी। सीरिया और सूडान जैसे हिंसा का सामना कर रहे देशों को भी हुआवे प्रॉडक्ट्स की सप्लाई करती है। अमेरिका ने इन दोनों देशों पर प्रतिबंध और एक्सपोर्ट कंट्रोल लगाए हैं। इन्फोसिस ने एसईसी को बताया था कि वह इन देशों में हुआवे के साथ कार्य नहीं करती। उसने हुआवे के साथ अपने बिजनेस की जानकारी एसईसी को दी थी। इंफोसिस ने एसईसी को दी जानकारी में कहा था, 'हुआवे के साथ हमारे बिजनेस में हम हुआवे के एंटरप्राइज बिजनेस ग्रुप को सपोर्ट देते हैं जो मेक्सिको, ब्राजील, यूरोप, भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, सिंगापुर, मलेशिया और थाईलैंड में बिजनेस करता है। कानूनी जानकारों का कहना है कि अमेरिका में मौजूदगी रखने वाली कंपनियों को ब्लैकलिस्ट का पालन करने की जरूरत होगी। एक आईटी एनालिस्ट ने कहा, 'हुआवे के साथ वे अपना बिजनस जारी रख सकती हैं। लेकिन अमेरिका की बंदिशों से हुआवे की अपनी ग्रोथ पर असर पड़ेगा और इस वजह से अन्य कंपनियों के साथ उसके मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स आगे बढ़ने मुश्किल हो सकते हैं।
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इन्फोसिस ने हुआवे के साथ हुए अनुबंध की समीक्षा शुरू की -हुआवे पर अमेरिका की बंदिशों के असर से बचने उठाया कदम