नई दिल्ली । कश्मीर में पिछले कुछ सालों में संघर्ष और लॉकडाउन की वजह से युवाओं के बीच हेरोइन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान से हेरोइन की तस्करी की वजह से नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। भारत प्रशासित कश्मीर में रहने वाले 17 वर्षीय जिब्रान अहमद (बदला हुआ नाम) दो साल पहले तक सामान्य जीवन जी रहे थे। एक दिन उनके दोस्त ने उन्हें हेरोइन का स्वाद चखाया और तब से वे लगातार इसका सेवन करने लगे। अब वे पूरी तरह इसकी गिरफ्त में आ गए हैं। हेरोइन की लत लगने से पहले अहमद एक होनहार छात्र थे। इस लत की वजह से, अब उनकी और उनके परिवार दोनों की जिंदगी तबाह हो गई है। अहमद का परिवार दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले के दमहालंजीपोरा गांव का रहने वाला है। नौवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान अहमद ने पहली बार यह ड्रग लेने की कोशिश की थी। उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "मैं 14 साल की उम्र से हेरोइन ले रहा हूं। मेरे दोस्त ने मुझे इसकी लत लगाई। उसने कहा कि इसे लेने पर बहुत अच्छा लगेगा।" फिलहाल, श्रीनगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (आईएमएचएएनएस) के ड्रग रिहैबिलिटेशन वॉर्ड में अहमद का इलाज चल रहा है। कश्मीर में अहमद जैसे हजारों युवा हैं जिन्हें पिछले कुछ सालों में हेरोइन की लत लग गई है। कई साल से चले आ रहे संघर्ष और कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण आर्थिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मामले बढ़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन समस्याओं की वजह से युवाओं के बीच हेरोइन की लत तेजी से बढ़ी है। नाम न छापने की शर्त पर, कश्मीर के एक वरिष्ठ मनोचिकित्सक ने कहा कि संघर्ष की वजह से ‘मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा हुईं'। वह कहते हैं, "संघर्ष की वजह से मादक पदार्थों की लत बढ़ती है, और अब यह कश्मीर में एक गंभीर समस्या बन गई है। मैं हर दिन करीब 60 से 70 ऐसे रोगियों का इलाज करता हूं जो नशे की लत से पीड़ित हैं। रिहैबिलिटेशन सेंटर हमेशा भरे रहते हैं समस्याओं में वृद्धि कश्मीर में मादक पदार्थों के सेवन के बढ़ते संकट के लिए जिम्मेदार है। पिछले एक साल में लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की रिपोर्ट में तेजी से वृद्धि देखी गई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। आईएमएचएएनएस में काम करने वाली डॉ। फरिश्ता खुर्शीद ने डॉयचे वेले को बताया कि ‘दोस्तों के दबाव में' युवा ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं। वह कहती हैं, "लेकिन फिर हम यह भी पूछते हैं कि वे ऐसे लोगों से कैसे मिले? कुछ को घरेलू परेशानी है, किसी को आर्थिक नुकसान हुआ है, कोई अपने रिश्ते से नाखुश है या कोई आत्महत्या करना चाहता है। ज़्यादातर मामलों में देखने को मिलता है कि ये लोग हेरोइन के आदी हो चुके हैं।
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हेरोइन के दलदल में धंसते कश्मीरी युवा