अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ऐसा एयरक्राफ्ट बनाने की सोच रहा है जिससे ग्रीन हाउस गैस का विकिरण बिलकुल भी नहीं होगा। नासा की तरफ से इस इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट के लिए रिसर्च शुरू कर दिया गया है। रिसर्च के जरिये पर्यावरण अनुकूल पावर सोर्स के रूप में द्रवित हाइड्रोजन ईंधन सेल की तलाश की जा रही है। इस कोशिश से पहली बार बड़े विमानों के लिए हाइड्रोजन पावर का इस्तेमाल हो सकता है और जो कमर्शल एविएशन इंडस्ट्री में क्रांति ला सकता है। उल्लेखनीय है कि हाइड्रोजन सेल का इस्तेमाल पहले कारों और ट्रेनों में बिजली के लिए किया गया है, लेकिन एक प्लेन को चलाने के लिए द्रवित हाइड्रोजन रखने के लिए बड़े टैंक की जरूरत थी, लेकिन चीता के शोधकर्ता द्रवित हाइड्रोजन का इस्तेमाल कर इस सीमा को खत्म करना चाहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना का नेतृत्व अमेरिका की इलिनोइ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक कर रहे हैं। इस परियोजना में यूनिवर्सिटी के एरोस्पेस इंजिनियर फिलिप, इलेक्ट्रिकल इंजिनियर किरुबा और उनके साथी शामिल हैं। इस कार्यक्रम को सेंटर फॉर क्रायोजेनिक हाई-एफिसिएंसी इलेक्ट्रिकल टेक्नॉलजिज फॉर एयरक्राफ (चीता) नाम दिया गया है। तीन साल की इस शोध परियोजना के लिए नासा 60 लाख डॉलर खर्च करेगा। परियोजना के संबंध में प्रफेसर फिलिप ने कहा, 'कार्यक्रम का मुख्य फोकस एक इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट प्लैटफॉर्म तैयार करना है जो क्रायोजेनिक लिक्विड हाइड्रोजन का इस्तेमाल करता हो। हाइड्रोजन केमिकल एनर्जी कई फ्यूल सेल के जरिये इलेक्ट्रिक एनर्जी में तब्दील हो जाता है, जो कि अल्ट्रा एफिसिएंट इलेक्ट्रिक प्रोपल्सन सिस्टम को चलाता है।'