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 कोलकाता में फिर स्टोनमैन का खौफ! एक की मौत, पहले भी ले चुका है 13 की जान -साल 1989 में भी इस तरह की घटनाएं हुई थीं, पत्थर मारकर 13 लोगों की हत्या कर दी गई थी

 कोलकाता में फिर स्टोनमैन का खौफ! एक की मौत, पहले भी ले चुका है 13 की जान -साल 1989 में भी इस तरह की घटनाएं हुई थीं, पत्थर मारकर 13 लोगों की हत्या कर दी गई थी


कोलकाता। कोलकाता की सड़कों पर इन दिनों स्टोनमैन का खौफ है। शहर में इन दिनों कई जगहों पर लोगों ने स्टोनमैन के हमले की शिकायत की है। राह चलते या फिर सड़क किनारे सो रहे लोगों पर पत्थर से हमले के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई। ये स्टोनमैन कौन है और ऐसा क्यों कर रहा है, पुलिस को अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है। हैरानी की बात ये है कि शहर के कई इलाकों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं। साल 1989 में भी यहां इस तरह की घटना सामने आई थी। यहां पत्थर मारकर 13 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इन हत्याओं में आम बात ये थी कि पीड़ितों का सिर भारी पत्थर से कुचल दिया गया था। ये सभी 13 लोग बेघर और फुटपाथ पर रहने वाले थे।  अब ऐसा ही एक वाकया उत्तरी कोलकाता के बीके पाल एवेन्यू में हुआ। स्थानीय निवासी 26 साल के ओमप्रकाश शर्मा एक सड़क किनारे एक होटल चलाते हैं। वो गर्मी के चलते उस रात होटल के बाहर फुटपाथ पर सो गए। जहां कथित रूप से स्टोनमैन ने पत्थर से उनका सिर कुचल दिया। सुबह उनके परिवारवालों ने देखा कि उसके सिर में गंभीर चोट आई है।
  ओमप्रकाश के परिजन सुबह उसे आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए, जहां उन्हें देखे बिना दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया। उसके बाद परिवार उसे कलकत्ता मेडिकल कॉलेज ले गया, जहां उन्हें इमरजेंसी ऑब्जर्वेशन वार्ड में भर्ती कराया गया। हालांकि, परिवार ने शिकायत की है कि ओमप्रकाश के सिर पर सिर्फ पट्टी बंधी थी। दिन भर में एक बार भी डॉक्टर उसे देखने नहीं आए। इस कारण अगले दिन परिजन भड़क गए, जिसके बाद उन्होंने अस्पताल अधीक्षक को लिखित शिकायत दी तो उन्होंने इलाज का आश्वासन दिया। मरीज को शाम करीब 5 बजे सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में कोरोना टेस्ट के लिए ले जाया गया, लेकिन कुछ ही मिनटों में वार्ड ने परिवार को सूचित किया कि ओमप्रकाश की मौत हो गई है ओमप्रकाश की मां रीता शर्मा कहती हैं, मेरे बच्चे ने कुछ भी गलत नहीं किया, तो उसे इस तरह से इलाज के बिना दुनिया क्यों छोड़ना पड़ा। अगर वो ऑपरेशन टेबल पर मर जाता, तो मुझे कोई शिकायत नहीं होती, लेकिन उसका इलाज ही नहीं हुआ। वहीं मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने इलाज न किए जाने के आरोप को पूरी तरह से खारिज किया है। अस्पताल के अधिकारियों का दावा है कि मरीज निगरानी में था। कोलकाता में साल 1989 में माना गया था उन पर आधी रात के बाद या सुबह के समय हमला किया गया था। उस वक्त पीड़ितों में से किसी की भी पहचान नहीं की जा सकी, क्योंकि कोई भी उनके शवों पर दावा करने के लिए आगे नहीं आया। अधिकांश हत्याएं हावड़ा ब्रिज से सटे मध्य कोलकाता में हुईं। इस कथित स्टोनमैन को किसी ने नहीं देखा था, लेकिन कोलकाता पुलिस को संदेह था कि हत्यारा मानसिक रूप से अस्थिर है।
 

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