ऐप के जरिए कैब सर्विसेज देने वाली कंपनियों ओला और उबर के आगे बढ़ने की रफ्तार घटने लगी है। जानकारों का कहना है कि पिछले छह महीनों में डेली राइड्स केवल 4 फीसदी बढ़कर 35 लाख से करीब 36.5 लाख पर पहुंची हैं। यात्रियों की परेशानी इजाफा हुआ है और उन्हें अब कैब के लिए औसत 12-15 मिनट का इंतजार करना पड़ रहा है, जो दो वर्ष पहले 2-4 मिनट का था। इसके साथ ही बड़े शहरों में नॉन-पीक आवर्स में किराए भी 15-20 फीसदी बढ़ गए हैं।
इस मामले पर उबर के प्रवक्ता ने कहा, 'हमारा राइड्स बिजनस भारत और दक्षिण एशिया में अच्छा बढ़ रहा है। हमारा मानना है कि ट्रांसपोर्ट का भविष्य शेयर्ड, मल्टी-मोडल और इलेक्ट्रिक में है।' ड्राइवर्स के इंसेंटिव्स में कमी होने से कैब की संख्या घट गई है और यह इस कारोबार में सिंगल डिजिट में ग्रोथ का बड़ा कारण है। 2018 में ग्रोथ 20 फीसदी, 2017 में 57 फीसदी और 2016 में करीब 90 फीसदी की थी। ओला और उबर के बिजनस की गति धीमी पड़ने का एक अन्य संकेत कमर्शल वीइकल रजिस्ट्रेशन से मिल रहा है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में 2017-18 में ओला और उबर इंडिया के लिए कार्य करने वाली 66,683 टूरिस्ट कैब रजिस्टर्ड हुई थी, लेकिन यह संख्या 2018-19 में घटकर 24,386 पर आ गई। पिछले एक वर्ष में ड्राइवर इंसेंटिव लगभग 40 फीसदी घटे हैं। बेंगलुरु में ड्राइवर्स की सप्लाई 25-30 फीसदी कम हुई है।
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उबर और ओला के कारोबार की रफ्तार पर लगा ब्रेक