नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में यमुना नदी एक बार फिर दूषित होने लगी है। शनिवार को कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी की सतह पर जहरीले झाग तैरते दिखे। यमुना के पानी में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ने को लेकर दिल्ली सरकार कई बार चिंता जता चुकी है, लेकिन अब तक इस समस्या पर काबू नहीं पाया जा सका है। कई बार, दिल्ली में नदी की सतह पर तैरते जहरीले झाग के दृश्य भी सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं। माना जाता है कि फैक्ट्रियों, रंगाई उद्योगों, धोबी घाटों और घरों में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट के कारण अपशिष्ट जल में फॉस्फेट की मात्रा अधिक हो जाती है, जो यमुना में जहरीले झाग के बनने का प्राथमिक कारण है। जानकारी के अनुसार, बीते दिनों दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा था कि हरियाणा की फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी से भी यमुना नदी में अमोनिया का लेवल बढ़ जाता है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि हरियाणा सरकार के सुस्त रवैये के चलते यमुना में बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा डाला जा रहा है जिससे यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ रहा है और इससे राजधानी दिल्ली के पानी उत्पादन में कमी आती है। बीते साल, एनजीटी की ओर से नियुक्त यमुना निगरानी समिति (वाईएमसी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और औद्योगिक आयुक्त से नदी में अचानक झाग बनने के पीछे के कारण पर रिपोर्ट तलब की थी। एनजीटी की दो सदस्यीय समिति ने सीपीसीबी और डीपीसीसी अध्यक्ष संजय खिरवार और औद्योगिक आयुक्त विकास आनंद से नदी में झाग उत्पन्न होने के स्रोत का पता लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में यमुना में झाग बनने के पीछे का कारण फॉस्फेट की अधिक मात्रा को बताया था, जो कि ज्यादातर घरेलू अपशिष्ट से निकलते हैं।
रीजनल नार्थ
यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा