नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण (एनटीए) द्वारा अवैध मोबाइल फोन सेट के जरिये मोबाइल सेवाओं के संचालन को रोकने के लिए मोबाइल डिवाइस प्रबंधन प्रणाली (एमडीएमएस) को लागू कर दिया गया है। इसके लागू होने के बाद अब 16 जुलाई से आईएमईआई नंबर पंजीकरण के बिना नेपाल में प्रवेश करने वाले मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लग गया है। एनटीए के अनुसार यह प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ द्वारा निर्धारित मोबाइल मानकों के अनुसार मोबाइल उपकरणों को आयात करने में मदद करती है और इससे मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाली आपराधिक गतिविधियों पर भी लगाम लगेगी। बताया जा रहा है कि लंबी तैयारी के बाद नेपाल में यह व्यवस्था लागू की गई है। एमडीएमएस लागू होने के बाद अवैध रूप से ग्रे मार्केट में खरीदा गया मोबाइल फोन और विदेश से रिश्तेदारों द्वारा खरीदा गया कोई भी मोबाइल सैट अब तब तक काम नहीं करेगा, जब तक कि उसका आईएमईआई नंबर पंजीकृत नहीं हो जाता। हालांकि एनटीए का कहना है कि एमडीएमएस के कार्यान्वयन से वर्तमान में सक्रिय मोबाइल फोन के संचालन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और व्यक्तिगत स्तर पर खरीदे गए मोबाइल फोन सैटों का पंजीकरण एनटीए की वेबसाइट के माध्यम से किया जा सकता है। एनटीए द्वारा आम जनता से नेपाल में वर्तमान में उपयोग में आने वाले मोबाइल फोन को पंजीकृत करने का आग्रह किया गया है। अवैध फोन कॉल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लागू की गई एमडीएमएस प्रणाली उन मोबाइल फोन सैटों से दूरसंचार सेवा के उपयोग पर रोक लगाती है, जो नकल और चोरी के सैट के माध्यम से टैक्स चोरी करते हैं। एमडीएमएस के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के संचालन के लिए चाबहिल में एक अलग भवन भी बनाया गया है।
एनटीए द्वारा जारी बयान के मुताबिक आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित करने और राज्य में राजस्व बढ़ाने के लिए इस तरह के नियमों को सख्ती से लागू किया गया है। वर्तमान में चल रहे मोबाइलों पर यह नियम सख्ती से लागू नहीं है लेकिन अब यह नियम सख्ती से लागू होगा। इस नियम के लागू होने के बाद मोबाइल फोन के रजिस्ट्रेशन से राज्य को मिलने वाले राजस्व में वृद्धि होगी और मोबाइल फोन भी सुरक्षित रहेंगे। नई प्रणाली के लागू होने के बाद मूल रूप से ग्रे मार्केट से मोबाइल आयात और बिना बिल तथा वारंटी के बेचे जाने वाले फोन का कारोबार खत्म हो जाएगा। नए नियम के तहत नेपाल में फोन सेट पर मोबाइल सिम कार्ड तब तक काम करेगा, जब तक सैट का इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (आईएमईआई) नंबर रजिस्टर नहीं किया जाता। हालांकि मोबाइल फोन सेवा बाधित न हो, इसके लिए एनटीए द्वारा ऐसे लोगों के लिए पंजीकरण कराने के लिए अभी लंबा समय निर्धारित किया है, जिनके पास पहले से ही ऐसे मोबाइल हैं। एक बार जब फोन मोबाइल नेटवर्क से कनेक्ट हो जाता है तो सिस्टम की मदद से उसके आईएमईआई नंबर का पता लगाया जाता है। यदि मोबाइल औपचारिक चैनलों के माध्यम से नहीं आया है तो उसे ब्लॉक कर दिया जाएगा, इसलिए नेपाल में अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के लिए उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
अब भी जान लें कि एमडीएमएस आखिर है क्या? यह एक ऐसा सुरक्षा सॉफ्टवेयर है, जो दूरसंचार नियामक को उन नीतियों को लागू करने में सक्षम बनाता है, जो अंतिम उपयोगकर्ता मोबाइल उपकरणों को सुरक्षित, मॉनीटर तथा प्रबंधित करती हैं। नेपाल सरकार की यह केन्द्रित प्रणाली मोबाइल उपकरणों का उनके ‘अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान’ (आईएमईआई) नंबर के साथ पंजीकृत होने के बाद रिकॉर्ड रखती है। दरअसल प्रत्येक मोबाइल फोन का 15 अंकों का एक विशिष्ट आईएमईआई नंबर होता है और डुअल सिम फोन सैट के लिए दो आईएमईआई नंबर होते हैं। एमडीएमएस की महत्ता के बारे में एनटीए के उपनिदेशक अच्युतानंद मिश्र का कहना है कि लंबे समय तक रिचार्ज करने पर मोबाइल सैट फटने और कपड़े की जेब में रखे मोबाइल सैट में विस्फोट होने की कई दुर्घटनाएं हुई हैं, जो खासकर तभी होता है जब डिवाइस कम गुणवत्ता का हो। दरअसल ऐसे मोबाइल सैट आवश्यक मानकों को पूरा किए बिना निर्मित किए जाते हैं और एमडीएमएस गुणवत्ता तथा मानकों को पूरा करने वाले वास्तविक मोबाइल उपकरणों को आयात करने में मदद करेगा। यह खोए हुए या चोरी हुए फोन का पता लगाने तथा वास्तविक गुणवत्ता वाले फोन आयात करने में भी मदद करेगा।
नेपाल में मोबाइल फोन के अवैध आयात के कारण सरकार को राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा था और यह प्रणाली सरकार के राजस्व संग्रह में योगदान देने वाले ग्रे मोबाइल फोन के आयात को पूरी तरह समाप्त कर देगी। दरअसल सरकार नेपाल में आयात होने वाले प्रत्येक मोबाइल फोन पर ढ़ाई फीसदी उत्पाद शुल्क और तेरह फीसदी वैट वसूलती है। ग्रे बाजार ऐसा बाजार है, जहां से हजारों मोबाइल सैट बिना बिल और बिना वारंटी के आयात किए जाते हैं। लोग बड़ी आसानी से बैग, कार्गो या अपने कपड़ों की जेब में ही ऐसे मोबाइल खरीदकर लाते रहे हैं। व्यापारी संगठनों के अनुसार नेपाल ने वित्त वर्ष 2019-20 में 4.3 मिलियन यूनिट मोबाइल फोन का आयात किया, जिनमें से करीब 40 फीसदी ग्रे चैनल के माध्यम से आए। नेपाल में बाहर से आने वाले मोबाइल फोन का बहुत बड़ा बाजार है। सीमा शुल्क विभाग के अनुसार देश ने चालू वित्त वर्ष के शुरूआती 11 महीनों में 34.14 अरब रुपये के मोबाइल फोन का आयात किया जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान आयात केवल 15.74 अरब रुपये था। नेपाल के सीमा शुल्क विभाग के अनुसार लोगों को अब अपने साथ दो मोबाइल डिवाइस लाने की अनुमति होगी, एक उपयोग में और दूसरा अतिरिक्त या नए फोन सेट के रूप में। यदि कोई इससे ज्यादा मोबाइल सैट लाता है तो उसे खरीद बिल जमा करके सीमा शुल्क का भुगतान करना होगा। नेपाली मोबाइल डीलरों का मानना है कि एमडीएमएस प्रणाली लागू होने के बाद नेपाल में मोबाइल फोन महंगे हो सकते हैं और खासकर जो ग्रे मार्केट से आयात होते रहे हैं।
भारत से भी बड़ी संख्या में मोबाइल फोन नेपाल जाते हैं लेकिन नया नियम लागू होने के बाद इस कारोबार पर बड़ा असर पड़ना तय है। भारत-नेपाल के बीच रोटी-बेटी के संबंध हैं, इसीलिए दोनों देशों के नागरिक एक-दूसरे से सामान खरीदकर ले जाते हैं लेकिन नए नियम का भारत के सीमांत बाजार पर काफी असर पड़ेगा, जिस कारण सीमांत के व्यापारियों में आक्रोश है। बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक भारतीय सीमा से मोबाइल खरीदते हैं क्योंकि यहां अपेक्षाकृत कम कीमत में बढि़या मोबाइल मिलते रहे हैं किन्तु नए नियम के बाद भारत से नेपाल जाने वाले मोबाइल सेट पर भारी टैक्स लगेगा, जिससे वहां के नागरिक भारतीय बाजारों से मोबाइल फोन खरीदने में संकोच करेंगे और इस प्रकार सीमायी बाजारों में भारतीय मोबाइल फोन का व्यवसाय काफी हद तक प्रभावित होगा। नए नियम के तहत दूसरे देशों से नेपाल घूमने या अन्य कार्यों से आने वाले लोगों के मोबाइल फोन में भी नेपाली सिम नहीं चलेंगी लेकिन वे अपनी सिम का इस्तेमाल रोमिंग में अवश्य कर सकेंगे। इसीलिए वहां सरकार से मांग की जा रही है कि पर्यटकों के मोबाइलों को नेपाली सिम कार्ड लगाने से प्रतिबंधित नहीं किया जाए। दरअसल प्रतिदिन हवाई और सड़क मार्ग से बड़ी संख्या में लोग नेपाल जाते हैं, भारत से भी बहुत से लोग नेपाल घूमने जाते हैं। नेपाल जाने पर वहां की स्थानीय सिम का इस्तेमाल करने से सस्ती दरों पर कॉल होती है, इसीलिए अधिकांश लोग वहां जाने पर अपने मोबाइल में नेपाली सिम का प्रयोग करते हैं लेकिन नए नियम लागू होने के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा।
(लेखक- योगेश कुमार गोयल )