कुछ लोग भले ही मोदी सरकार की अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम समुदाय विरोधी बताते हों, लेकिन शिक्षा, समाज व संस्कृति के क्षेत्र में काम कर रहे १९ प्रबुद्ध मुस्लिम लोगों के समूह ने मोदी को पत्र लिखकर अल्पसख्यकों के प्रति उनके नजरिये की सराहना की है। साथ ही माह ए-रमजान में सरकार के नए कार्याकाल की सफलता की कामना भी की है। खास बात यह है कि इस समूह का नेतृत्व करने वाले कमाल फारूखी, उस मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य है, जो मोदी सरकार के तीन तलाक पर रोक के फैसले पर विरोध कर रहाा है। इसी तरह समूह में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मसदूद मदनी, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डाक्टर जफराल इस्लाम खान, प्रोग्रेसिव मुस्लिम शोसल सर्कल जयपुर के अध्यक्ष व पूर्व आइएएस एआर खान, हज कमेटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व दिल्ली के पूर्व मुख्य आयुक्त आयकर कैंसर शमीम, वल्र्ड एजुकेशनल एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष व अंजुम इस्लाम मुंबई के सीईओ शबी अहमद, आइआइटीयन व मऊ के मॉर्डन पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष शाहिद अनवर, शिक्षाविद व लेखक कलीमुल हाफिज समेत कुछ १९ लोग है। पत्र में २६ मई को सेंट्रल हॉल में राष्ट्र जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के उस भाशण का जिक्र है जिसमें उन्होंने वोट बैंक की खातिर राजनीतिक दलों द्वारा देश के अल्पसंख्यकों को छलावे में रखकर उन्हें भ्रमित और भयभीत रखाने का जिक्र किया था। साथ ही शिक्षा व स्वास्थ्य की स्थिति पर चिंता जताते हुए मोदी ने सभी चुने हुए सांसदों व अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने पर जोर दिया है। पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा शिक्षा व स्वास्थ्य, कौशल विकास और अल्पसंख्यकों पर हमला करने वालों पर सजा दिलाने की मांग की गई है।