भाजपा, कांग्रेस और डीएमके सहित अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव के दौरान निर्धारित समयसीमा के भीतर जुटायी गयी दान राशि का अब तक चुनाव आयोग को ब्यौरा नहीं दिया है। सूत्रों के अनुसार किसी प्रमुख दल की ओर से इस बारे में ब्यौरा नहीं मिलने की पुष्टि की है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ३० मई तक सभी राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से जुटाये गये चंदे का ब्यौरा चुनाव आयोग को देना था। आयोग ने मई में यह समय सीमा खत्म होने से पहले सभी राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से जुटाये गये चंदे का ब्यौरा देने की लिखित तौर पर ताकीद की थी।
आयोग अधिकारी का कहना है कि प्रमुख राजनीतिक दलों बीजेपी, कांग्रेस और द्रमुक ने कम से कम अभी तक ब्यौरा नहीं दिया है। उल्लेखनीय है कि १२ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे सरकार की राजनीतिक दान योजना में मिले चंदे के दाताओं की सूची सीलबंद लिफाफे में आयोग को ३० मई तक सौंप दें।
इस योजना में दानदाताओं की पहचान सार्वजनिक करने के बारे में आयोग और सरकार के बीच विरोधाभास बरकरार है। एक तरफ सरकार दानदाताओं की पहचान गुप्त रखने की पक्षधर है, वहीं आयोग ने चुनावी चंदे में पारदर्शिता का हवाला देते हुये दानदाताओं की पहचान सार्वजनिक करने की पैराकारी की है। इस बारे में अदालत के समक्ष आयोग ने कहा था कि उसका नजरिया सिर्फ राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता तक सीमित है, इसका योजना की खूबियों और खामियों से कोई संबंध नहीं है। इस योजना के तहत कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में स्थापित और संचालित निकाय किसी राजनीतिक दल को बैंक से चुनावी बॉन्ड खरीद कर चंदा दे सकता है। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा २९ ए के तहत पंजीकृत ऐसा कोई भी राजनीतिक दल चुनावी बॉन्ड से चंदा ले सकता है जिसे लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिला हो। योजना के तहत भारतीय स्टेट बैंक की देश की २९ शाखाओं को पिछले साल १ से १० नवंबर के बीच चुनावी बॉन्ड जारी करने के लिये अधिकृत किया था।
नेशन
अब तक ईसी को नहीं मिला चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे ब्यौरा