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 सीमा चोकियों पर तालिबान की ट्रकों से अवैध कर  वसूली शुरू -माल लदे ट्रकों को सुरक्षित जाने देने की एवज में डकैत-लुटेरे भी वसूल रहे पैसे 

 सीमा चोकियों पर तालिबान की ट्रकों से अवैध कर  वसूली शुरू -माल लदे ट्रकों को सुरक्षित जाने देने की एवज में डकैत-लुटेरे भी वसूल रहे पैसे 

काबुल । अफगानिस्तान को जंग का मैदान में तब्दील करने वाले आतंकी संगठन तालिबान ने पाकिस्तान सीमा की मुख्य सीमा से सटी अधिकांश चौकियों पर कब्चा कर लिया है।   इन चौकियों से गुजरने वाले ट्रकों से माल ढुलाई महंगी साबित हो रही है। कारण है आतंकियों और सरकारी अधिकारियों की ट्रक वालों से अलग-अलग टैक्स वसूली है। ऊपर से, माल लदे ट्रकों को सुरक्षित जाने देने की एवज में डकैत-लुटेरे भी पैसे वसूल रहे हैं। अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार के लिए माल ढोने के लिए हजारों गाड़ियां रोजाना चमन से स्पिन बोल्डक तक जाती हैं। लौटते वक्त वापस रास्ते में ये गाड़ियां आम तौर पर पाकिस्तान के बाजारों या बंदरगाहों के लिए अनाज अथवा अन्य कृषि उपज की ढुलाई भी करती हैं। 
इन सीमा चौकियों के जरिए दोनों तरफ से हर साल करोड़ों डॉलर का कारोबार होता है। लेकिन इस महीने की शुरुआत में तालिबान के कब्जे के बाद इन चौकियों को बंद कर दिया गया और यह सब ठप हो गया। हालांकि, बाद में इन चौकियों के जरिए फिर आवाजाही के साथ व्यापारिक गतिविधियां शुरू हुईं। लेकिन ट्रक वालों से आतंकियों ने टैक्स वसूलना शुरू कर दिया।असल में, तालिबान ने विदेशी सैनिकों की वापसी का फायदा उठाते हुए हमले शुरू कर दिए, और मई की शुरुआत से अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। हालांकि, तालिबान अभी किसी प्रांतीय राजधानी पर कब्जा नहीं जमा पाया है। लेकिन उन्होंने ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित प्रमुख सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया है। ये वो चौकियां हैं जहां से अफगानिस्तान में आने वाले सामानों पर मिलने वाले सीमा शुल्क से सरकार को अच्छा-खासा राजस्व मिलता है।
चमन में ट्रक ड्राइवरों ने अफगान सीमा की तरफ अराजकता और भ्रम की स्थिति के बारे में बताया। न्यूज एजेंसी एएफपी से ट्रक ड्राइवर हिदायतुल्ला खान ने चमन में बताया, "हमने कंधार में अंगूर लादा और रास्ते में हमसे कम से कम तीन बार जबरन वसूली की गई। कहीं 3,000, कहीं 2,000 तो कहीं 1,000 रुपये वसूला गया।" 
पाक-अफगान संयुक्त चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष इमरान कक्कड़ ने कराची से कंधार के लिए कपड़े ले जाने वाले ट्रक का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि तालिबान ने स्पिन बोल्डक में ड्राइवर से 150,000 रुपए सीमा शुल्क वसूला, लेकिन जब ट्रक कंधार पहुंचा तो सरकारी अधिकारी भी सीमा शुल्क वसूली का इंतजार कर रहे थे। कक्कड़ ने बताया कि सरकारी अधिकारी तालिबान को दिए टैक्स की बात मान नहीं रहे हैं और हमें उन्हें भी पैसे देने पड़ रहे हैं। ये हालात 1990 के दशक में गृहयुद्ध के दौरान अफगानिस्तान के दृश्य याद दिला रहे हैं। उस दौरान प्रमुख व्यापारिक मार्गों पर कब्जा कर चुके चरमपंथी गुट ट्रक ड्राइवरों और राहगीरों से वसूली किया करते थे। बीते बुधवार को पाकिस्तान की सीमा पर सैकड़ों ट्रक बॉर्डर पार करने की अनुमति का इंतजार कर रहे थे। हालांकि, दूरी सिर्फ 100 किलोमीटर है, लेकिन यात्रा खतरों से घिरी हुई है।
अफगानिस्तान में वाहनों और सड़कों दोनों की हालत खराब है। पुलिस और सेना की चौकियां रोजाना ड्राइवरों से "चाय के पैसे" वसूलती हैं। डाकुओं की भी ट्रकों पर नजर रहती है। लुटेरे ट्रकों को सुरक्षित जाने देने की एवज में वसूली करते हैं। तालिबान और सरकारी बलों के बीच लड़ाई के दौरान ट्रक ड्राइवरों को गोलीबारी में फंसने का जोखिम भी है। फिर भी, व्यापारियों और ड्राइवरों का कहना है कि उनके पास ट्रक चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कंधार जा रहे ड्राइवर अब्दुल रज्जाक कहते हैं कि जंग चल रही है, हम जानते हैं। लेकिन हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। घर परिवार चलाने के लिए हमारे पास माल ढुलाई ही एक मात्र आय का स्रोत है।
 

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